पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/२२१

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वर्षका पता लगाना कठिन है। इस वंशन: पहले पहल दक्षिणमें हिन्दू-सभ्यताको फैलाया और हिन्दू धर्म की रक्षा की। दूसरा परिच्छेद i मारतको उत्तर-पश्चिमी सीमापर इण्डोपाखतरीय और इण्डोपार्थियन राज्य । पिछले परिच्छेदमें लिखा जा चुका है कि एशियामें यूनानी उन चार सौ वर्षोंमें जो अशोककी मृत्युसे लेकर' सत्ताके अन्तिम ईसाको तीसरी शताब्दीफे भारम्भिक कालतक दिन। गिनने चाहिये भारतवर्षपर अ-भारतीय जाति- योंकी ओरसे कई आक्रमण हुए । इन माफमणकारियों से केवल एक, अर्थात् मिनेण्डर ही यूरोपीय वंशका सेनापति था । इसका वर्णन पिछले परिच्छेद में किया जा चुका है। यह भी पहले कहा जा चुका है कि सिकन्दरको मृत्युके पश्चात् उसके अधिकृत देशोंको उसके सेनापतियोंने आपसमें वांट लिया। उसके जो अधिकृत देश एशियामें थे वे सिल्य 'कस निकटोरके हिस्सेमें आये। सिल्यूकस इतिहासमें शाम-नरेश के नामसे प्रसिद्ध हुआ। यह वही मनुष्य था जिसको चन्द्रगुप्तने " हराकर उसकी पुत्रीसे विवाह किया था। सन् २६२: या सिन् ।' २६१ ई० पू० में इसका पोता एण्टिमोकस इसकी गद्दीपर घेठा। यह परले दरजेका व्यभिचारी, विलासी और मद्यप था । यद्यपि इसके जीवन-फारमें इसकी प्रजा परमेश्वरके सदृश इसकी पूजा 7