पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/२२३

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भारतवर्पका इतिहास यूनानी सभ्यताको भारतपर कुछ दोनों इस यातमें एक मत है कि 2 सीमा प्रान्तपर राज्य करते हुए और कुछ समयतक काबुल और यमुना नदीतक पाय उनके अधिकारमें रहा। दक्षिण- पश्चिममें भी उनके राजप्रतिनिधियोंने पश्चिम किनारपर उज्जनको सीमातक अधिकार रक्खा। इनमेंसे कुछ गवर्नर केवल नाममात्र ही यायतर और पार्थियाके अधीन थे, और नियात्मक रूपसे स्वतन्त्र थे। इनमेंसे बहुतोन चौद्ध-धर्म या हिन्दू धर्मपो प्रहण किया और भारतीय सभ्यताके सामने सिर झुकाया। मिनैण्डरके विषय में यौद्ध-साहित्य में एक प्रसिद्ध पुस्तक है । उसका नाम "मिलिन्दके प्रश्न है। बौद्धोंने मिडरगे मिलिन्द लिखा है। विंसेंट स्मिथ और हेचल प्रभाव नहीं हुआ। यद्यपि एशिया यूनानियों- का चिरकालतक भारतको उत्तर पश्चिमी सीमापर अधिकार , और कुछ कालतक उनका राजनीतिक प्रभाव उत्तर भारत- में मथुराकी सीमातक और दक्षिण-पश्चिमी भारतमें उज्जैनको सीमांतक विस्तृत हो गया, तथापि यूगानी सभ्यताका कोई प्रभाव भारतीय सभ्यतापर नहीं हुमा भारतीयोंने न यूनानकी सभ्यता सीखी, न उनकी राजनीतिक संस्थायें प्राण की, और न उनकी कलाओंका प्रचार किया। भारतीय सभ्यतामें यूनानी सभ्यतासे कोई चिढ़ नहीं है। वास्तुविद्यापर यूनानी सभ्यताका जो हलका सा असर ऐति. हासिक मानते हैं, यह भी. उचर-पश्चिो सीमातक ही परि-

  • अर्थात् बाखास लोग। इन मनोगोको वशालीन निधासमें य माना

विधाजे व मानो या ना , असे मान भारतीयोंको बिटिया बिटिया रविया कहा जाता है ब