हीरे और जवाहरात एक बहुत बड़ी राशिमें जाते थे। भारतको भी यूरोपको प्रचुरतासे जाते थे। यूरोपके एक राजनीति २०२ भारतवर्पया इतिहास प्रचारक नागार्जुन था जिसको बुद्ध धर्मका ल्यूथर भी कहा जाता है, यद्यपि हमारी सम्मतिमें यह उपमा सर्वथा निरर्यक है। नागार्जुनने घौद्ध धर्मको अपनी वास्तविकतासे गिराकर उसमें मूर्ति-पूजन धुसेड़ दिया । ल्यूयरने ईसाई-धर्ममेंसे प्रतिमा पूजन निकाल दिया। दूसरी बार यह युक्ति दी जाती है कि आरम्भमें बौद्ध-धर्म उन विशेष लोगोंके लिये था जो साधनोंसे ध्यान फरनेको शक्ति उत्पन्न कर लेते थे। परन्तु नागार्जुनने बौद्ध धर्म- में भक्तिको मिलाफर उसको लोकप्रिय बनाया। . विसेंट स्मिथकी सम्मतिमें बौद्धोंका महायान-सम्प्रदाय हिन्दू, बौद्ध, ईरानी, गेमन और यूनानी प्रभावोंको एक खिचड़ी थी। यह यात कनिष्क सिफोंसे पाई जाती है। उनपर इन सय जातियों के देवताओंकी मूर्तियां अङ्कित हैं। इन प्रभावोंने एक मृत गुरुको एक सजीव परिनाताके रूपमें परिणत कर दिया। रोम और भारतका अति प्राचोनकालसे भारतका व्यापार पाश्चात्यजगत्के साथ था। स्मरण रहे कि व्यापार उस समयका सभ्य पाश्चात्यजगत् एशिया. से बाहर केवल मिस्र, यूनान और इटलीतक परिमित था। उस समयका (पशियासे याहर) सारा ज्ञात संसार रोमन, साम्रा- ज्यके अन्तर्गत था। अतएव रोमन, सामाज्य और मिस्रके साथ व्यापार मानो समस्त जगतके साथ व्यापार था। यह व्यापार यधिकांशमें दक्षिण भारतके साथ था। वहांसे गेमन लोगोंकि लिये मिर्च मसाला, नाना प्रकारके बहुमूल्य पत्थर, उत्कृष्ट वस्त्र, फमख्याय, जरयपत और मलमलोंकी यूरोपीय पाजारोंमें प्रचुर मांग थी और उनका मूल्य भी खूब मिलता था। भारतके इत्र
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