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पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/२३७

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२०८ मारतवर्षका इतिहास तत्पश्चात् उसने प्रायः समस्त भारतको नये सिरेसे विजय करके अपने राज्य में मिलाया। ठेठ भारतको उसके पिताने विजय करना आरम्भ फर दिया था। समुद्रगुप्तने इन विजयोंको पूर्ण करके सारे प्रदेश- को केन्द्रिक राज्यके अधीन कर दिया और तत्पश्चात् यह दक्षिणकी ओर चला। निरन्तर युद्ध करके दो वर्षके भीतर उसने छोटा नागपुरसे होते हुए पहले महानदीको उपत्यकामें, दक्षिणी कोसला राज्यको विजय किया। जंगली प्रदेशके समस्त राज्योंको जो वर्तमानकालके उड़ीसा और मध्यप्रदेशमें स्थित है, जीता। इनमेंसे एकके राजाको नाम व्याघ्रराज था। इन विजयोंके पश्चात् और भी दक्षिणकी ओर घढ़कर उसने गोदावरीके प्रदेशमें कलिंगकी प्राचीन राजधानी पिष्टपुर, जिसको अब पठापुरम् कहते हैं, और महेन्दगिरि तथा फुटरके पार्वत्य प्रदेशोंको विजित किया। ये दुर्ग भय गक्षम प्रदेशमें हैं। उसने कोलेरूझीलके प्रदेश और गोदावरी तथा कृप्याक वीच घेङ्गी राज्यको परास्त किया। लगभग सारा दक्षिणी भारत उसने जीता। फिर वहांसे वह पश्चिमकी ओर मुड़ा और लेलोरके जिलेमें पालकनरेश उग्रसेनको हराकर दक्षिण पश्चिमी भागोंमेंसे लांघता और देवराष्ट्र तथा खान नरेशके प्रदेशोंको जीतता हुआ अपने घर वापस आ पहुंचा। ऐसा प्रतीत होता है कि इन प्रदेशोंको राज्यको सीमा। उसने अपने राज्य में नहीं मिलाया चरन उन- को पराजित करके अपना कद बनाया। पूर्वकी ओर गया और ब्रह्मपुत्रका त्रिकोण'द्वीप ( जिसके अन्तर्गत यह स्थान था जहां अब कलकत्ता स्थित है) दयाफ (जो अब योगरा, दीनाज. पुर योर राजशादीफे जिलोंमें बंटा हुआ है) और कामरूप अर्थात् भासाम केन्द्रिक शासनके अधीन छ। पश्चिममें भपाल एक