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पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/२६१

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हज जातिके माक्रमण २२६ दूरोपीय साहित्यमें प्रचुरतासे पाये जाते हैं । गत यूरोपीय महा- युद्ध में मित्र राष्ट्रोंकी प्रजा, उनके पत्र सम्पादक और प्रत्यकार जर्मन लोगोंको हण और उनके सम्राटको एटिल्ला कहा करते थे। इस एपलपर हमारा सम्बन्ध उस जातिकी उस पूर्वी भारासे है जिसने उत्तर पश्चिमी दोसे घुसकर लगभग एक सौ वर्पतक भारतवर्षको लूटा खसोटा। इस जातिका पहला माकमण, जैसा कि एक स्थलपर ऊपर उल्लेख किया जा चुका है, स्कन्दगुप्तके समयमें हुआ था। उस समय उनको हरा दिया गया था। इससे दस वर्ग पश्चात् फिर ये जातियां गान्धार राज्यपर अधिकार करके गङ्गाके प्रान्तोंतक पहुंच गयीं और उन्होंने गुप्त राज्यको परास्त कर लिया। इस समय उनका यह दल राजा फीरोज़का वध करके ईरानको अपने अधिकार में कर चुका था। भारतपर होनेवाले आक्रमण. का मुखिया तोरमान था। इसने सन् ५०० में मध्य भारतमें अपने मापको मालवाका शासक बना लिया और महाराजा- धिराजकी पदवी धारण की। सन् ५१० ई० में तोरमानका देहान्त हो गया। उसके खानपर उसका पुत्र मिहिरगुल- जिसको संस्कृतमें मिहिरकुल कहते है, राज्य करने लगा। इसने पक्षावमें सियालकोटको अपनी राजधानी बनाया। इसको साकल कहा है। मिहिरगुलका शासन- मिहिरगुल वैसा ही प्रजापोड़क और निर्दय था जैसा कि उसका सजातीय काल । एटिल्ला। ये लोग अत्यन्त निर्दयतासे रतकी नदियां वहाते थे। निःसङ्कोच होकर प्रजाका वध करते थे। परले दर्जेके कुरुप और कुडोद थे। फसलें उजाड मिहिरगुजके मिले गुजरांवाला और मद्रके दिल १३ भी मिलते हैं।