पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/२६२

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ने मिहिरगुलको शरण न दी। मिहिरगुल शरणकी तलाशमें काश्मीर पहुंचा। काश्मीर नरेशने एक छोटासा प्रदेश उसको करके अपना अधिकार किया। फिर वह सिंधु नदीवक वध करता चला गया। उसने असंख्य मन्दिरों, मठों और समाधि भवनोंको भूतलशायी कर दिया और लूट लिया। अन्ततः सन् भारतवर्षका इतिहास २३० देते थे, गांव जला देते थे। इनको देखकर लोगोंको भय होता जिस समय मिहिरगुल भारतमें शासन करता था उस समय एशियामें इस जातिका राज्य ईरानको सीमासे आरम्भ होकर खुतनतक और चीनफी सीमातक पहुंचता था। मिहिरगुलके दरवारमैं एक चीनी पर्यटक सुङ्गयुन, आया था। यन्तको सन् ५२८ ई० में हिन्दू राजाओंने मगध नरेश वालादित्य और मध्य भारतके राजा यशोधनम्के नेतृत्वमें एकता फरके मिहिरगुलको एक फरारी पराजय दी और उसकी शकिको छिन्न भिन्न कर डाला। परन्तु यालादित्यने अपनी सांधारण उदारता और आर्य-नीतिके अनुसार जो कुछ दशायों- में मूर्खताकी सीमातक पहुंचती थी, मिहिरगुल जैसे मनुष्य समाजके शत्रुको क्षमा कर दिया, और उसे बंधन मुक्त करके अपने देशको वापस भेज दिया। इस समय मिहिरगुलका छोटा भाई साफलकी गद्दीको अपने अधिकारमें ला चुका था। उस जागीरमें दे दिया। परन्तु इस कपटी और येईमानने थोड़े हो दिनों में शक्तिका संचय करके पहले अपने शरणदाताको हो सिंहासनच्युत करके उसके राज्यपर अधिकार कर लिया। फिर यहांसे गान्धारके राज्यपर थाक्रमण किया। यड़ी ही नृशंस रोतिसे अपनी ही जातिके राजपरिवारको न वहां भी उसने ५४० ई० के लगभग मृत्युने उसफो मा घेरा। तब इस भूमिको उसके चङ्गुलसे छुटकारा मिला।