२५० भारतवर्षका इतिहास धार्मिक विचार-बिन्दुसे भारतके इतिहासके साथ चीनका चीन भारतका शिष्य है। दो प्रकारसे सम्बंध रहा है। चीनके भारम्भिक चर्म टायो योर कन्फ्यू- (१) धार्मिकं । शस धर्म थे। टामो-धर्म एक प्रकारकी पितृ. पूजा है और बहुत अंशोंमें पौराणिक धर्मसे मिलता । फन्फ्यूशस सिद्धान्तोंपर जोर नहीं देता। यह यधिकतर अनुष्ठान और कर्मका धर्म है। इस भूमिम बुद्ध-धर्म-. ने बहुन उन्नति की। ऊपर अनेक स्थलोंपर इस यातका उल्लेख हो चुका है कि किन रीतियोंसे बुद्ध-धर्म चीनमें पहुंचा। गत १५०० वर्षसे बौद्ध धर्म चीनका प्रधान धर्म है। भारतके साथ चीनके राजनी. (२) राजनीतिक सम्बंध। तिक सम्बन्ध तिब्बत और नेपालके द्वारा रहे हैं, क्योंकि साधारणतया चीनी यात्री और चीनी व्यापारी इन्हीं मार्गोंसे भारतमें आते रहे। तिव्यतका सबसे प्रसिद्ध राजा तिब्बतका प्रसिद्ध राजा सरोङ्गसन गम्पो हुआ है। इसने सरोगसन गम्पो। सन् ६४७ ई०में लासाकी नींव रखी, अपने देशमें बुद्ध-धर्मका प्रचार किया और भारतीय विद्वानोंकी सहायतासे तिब्बती लिपिकी नींव डाली। इसका सम्बन्ध विवाहके द्वारा एक मोर नेपाल-वंशसे और दूसरी ओर तेसी सङ्ग गामके चीन सम्राट्से था। अपनी दोनों स्त्रियोंकी सहा- यतासे गम्पोने बौद्ध धर्मको यहुत विस्तृत किया। तिव्वतकी लोक-कथाओं में इस राजाको बुद्धका अवतार अवलोकितेश्वर - कहा गया है। इसकी दोनों स्त्रियाँ हरतारा और श्वेततारा नामसे पुकारी जाती थीं। नेपाली स्त्रीका नाम हरीतारां और
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