पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/२९५

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राज्यमें बनारस, कन्नौज, पंजाब, अजमेर, दिल्ली, ग्वालियरकी राजधानियां २६१ शेष हिन्दू राजे रुष्ट हो गये। उन्होंने इकट्ठे होकर सन् २०१६ १० में कन्नौजपर धावा किया और राज्यपालका वध कर डाला कन्नौजका बाकी वचा पुचा इलाका उसके पुत्र त्रिलोचनपालके' अधिकारमें आया। उसकी सहायताके लिये गजनीके महमूदने चढाई की और उस भागमें बहुत सी लूट मार की। उस समय उत्तर-भारतमें चन्देल राजपूतोंका प्राबल्य था। परन्तु इन्होंने मह- मूदका सामना नहीं किया । वे उसे यमुना पार उतरनेसे न रोक सके। इसके पश्चात् फानौजमें छोटे छोटे अप्रसिद्ध राजा राज्य करते रहे । सन् १०६० ई० में कन्नौजको गहरवार जातिके राज- पूतोंने विजय किया। उनके राजाका नाम चन्द्रदेव था । उसके अयोध्या और सम्भवतः दिल्लीका प्रान्त मिला हुआ था। गहरवार वंशको राठौर राजपूत भी कहा जाता है। इस वंशने सन् १९६४ ई० तक कन्नौजमें शासन किया । अन्तको सुस्तान मुहम्मद गोरीने उनको पराजित किया। चन्द्रदेवके पोते गोविन्दचन्द्रने सन् ११०४ ई. से सन् १९५५ ई० तक शासन किया। इस पातके पर्याप्त प्रमाण मौजूद है कि गोविन्दचन्दके राजत्वकालमें कनोजने फिर महत्ता प्राप्त की और अपने खोये हुए गौरवको एक बड़े अंशमें पुनः प्राप्त किया। राजा जयवन्द कन्नौजके प्रसिद्ध शासकों राजा जयचन्द । मेंसे था। हन्दू ऐतियों में इसका वर्णन पड़ी घृणासे किया जाता है। यह अजमेर और दिल्लीके राजा पृथ्वी. राजका भोर शत्रु थर। जय उसने अपनी पुत्री संयोगिताका स्व- यम्बर रचा तो पृथ्वीराजकीएक मूर्तियनाकर उसको अतीव नीच कर्मपर लगा दिया। संयोगिताने समामें आते ही पृथ्वीराजके राठौर राजपूत। .