पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/२९६

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२६२ भारतवर्षका इतिहास कथनं। गलेमें जयमाल पहना दी। परन्तु जयचन्दने संयोगिताके इस निर्वाचनको स्वीकार नहीं किया। कहते है कि संयोगितायो ले । • जाने के लिये पृथ्वीराजको जयचन्दके साथ युद्ध करनेकी आव- श्यकता न हुई। इसके विपयमें हिन्दुओंमें यहुतसे सर्वप्रिय गीत और कहानियां मौजूद हैं। मुसलमान इति- मुसलमान इतिहासकारोंने जयचन्दको बनारसका राजा लिखा और कहा है कि हासकारोंका इसके राज्यमें उत्तरसे दक्षिण, चीनकी सीमा- ओंसे लेकर मालवातक और पूर्वसे पश्चिम, समुद्रसे लेकर लाहौरसे दस दिनके अन्तरतक सारा देश मिला हुआ था । शहाबुद्दीनने यमुनाके निकट इटावाके जिलेमें . चन्दावरके स्थानपर इसे पराजय दी और उसकी सेनाका एक घड़ा भाग मार डाला। इस यधमें राजा मी मारा गया। यहते हैं यहांसे शहाबुद्दीन गोरी बनारसतक लूट-मार करता हुमा चला गया। यहांसे चौदह सौ ऊंटोंपर लूटका माल लादकर वापस लौट गया.। सामान्यतः हिन्दू ऐतिह्योमें यह विश्वास राजा जयचन्दका किया जाता है कि जयचन्दने अपने प्रतियोगी ., देशद्रोह । रायपिथौरा अर्थात् पृथ्वीराजको पराजित करनेके लिये शहाबुद्दीनको घुलाया था। यह यात मानी हुई है कि पृथ्वीराजने जब उत्तर भारतके अनेक राजाओंको इकट्ठाकर शहाबुद्दीनसे स्वदेशको रक्षाके प्रयत्नमें, पानीपतके रणक्षेनमें, अन्तिम युद्ध किया तो जयचन्द इसमें सम्मिलित नहीं हुआ।

जयचन्दकी हत्यापर फन्नोजके प्रसिद्ध राज्यको समाप्ति हो

. गई।