राज्य । कन्नौज, पंजाय, अजमेर, दिल्ली, ग्वालियरकी राजधानियां २६३' चौहान जातिके दसवीं शताब्दी में अजमेर और साँभरके प्रदेशमें चौहान जातिके राजपूत राज्य फरते राजपूतोंके थे और दिल्लीमें तोमर वंशके राजपूतोंका शासन था । बारहवी शताब्दीके मध्यमें चौहान जातिके विग्रहराजने जिसको विसलदेव भी लिपा है, दिल्ली. को जीतकर अजमेरके साथ मिला लिया। राजा पृथ्वीराज चौहान उस समय दिल्ली में शासन करता था जय शहाबुद्दीन गोरीने भारतपर चढ़ाई की। कहते हैं वर्तमान दिल्लीको सन् ६६३ ई० दिल्लोकी नीव । या सन् १६४ ई. में तोमरवंशके राजाओंने बसाया था। सामान्यतः यह ऐतिह्य है कि राजा अनङ्गपालने उसको यसाया परन्तु राजा अनगपाल रगभग सन् १०४५ ई० में हुआ और उसने उस स्थलपर जहां अब कुत्व साधकी मसजिद पंडी है, एक लाल किला बनवाया। लोहेकी जो लाट चहा पडी है उसके विषयमे लोगोंका विश्वास है कि तोमर जाति के राजपूत उसको मथुरासे उपड़वाकर लाये थे। और सन् १०६२ ई० के लगभग उसको कतिपय हिन्दू मन्दिरोंके समूह- के घोचमें खड़ा कर दिया। इन मन्दि की सामग्रीले मुसलमा- नौने यादमें एक बडी मसजिद बनाई । राजा निसलदेवके कुछ वर्ष हुए अजमेरको बडी मसजिदफे नीचसे काले पत्यरोंकी छ: शिलाये निकली। समयके दो उनपर दो ऐसे नाटक लिखे हुए थे जिनका नाटक। इस समयता किसीको ज्ञान न था । उनमें एकका नाम ललितविनइ राज नाटक है । यह पित्तल- देवके सम्मानमें ठिसा गया था। दूसरा हरकलि नाटक स्पर्य विसलदेवकी रचता है।
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