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पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/३००

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भारतवर्षफा इतिहास पिथौरा। प्रसिद्ध पृथ्वीराज चौहान विग्रहराजका महाराजा पृथ्वी- भतीजा था। उसने सन् १९८२ ई०में चन्देल- राज.या राय राज परमालको हराफर महोवाको अपने राज्यमें मिला लिया | पृथ्वीराजने पहली चार तरावड़ीके मैदानमें शहाबुद्दीन गोरीको एफ कड़ी पराजय दी। हार पाफर शहाबुद्दीन सिन्ध नदीके पार वापस चला. गया । हिन्दू ऐतियोंके अनुसार पृथ्वीराजने एकसे अधिक बार शहाबुद्दीन गोरीको हार दी और एक बार तो उसको गिरफ्तार करके छोड़ दिया । यद अन्तिम घटना बहुत असम्भाव्य नहीं है, पयोंकि हिन्दू क्षत्रिय प्राचीन पालसे अपने पराजित शत्रुका वध अथवा बन्दी करना बहुत बुरा समझते थे। इस सारे लग्ये इति- हासमें कोई घटना ऐसी नहीं मिलती जहां किसी हिन्दू राजाने किसी पराजित राजाको पकड़ लेनेके पश्चात् मार डाला या चन्दी किया हो ।लड़ाई में अवश्य राजा मारे गये। वे राज्यविप्ल- वोंमें भी मारे गये। परन्तु सामान्यतः हिन्दुओंको पिसी पकड़े हुए शत्रुका वध या उसे कैद करनेसे घृणा थी। जैसा कि ऊपर उल्लेख हो चुका है कि किस प्रकार घालादित्यने मिहिर- गुलको पकड़कर छोड़ दिया और किस प्रकार मिहिरगुलने

  • पविक सम्भव कि यह वो लडाई है जिसके सम्पब पाहा उदल की।

शौरताको कहानिया गाई जाती हैं (सर्वप्रिय महाकायोंमें मोवाक पाना दल. उसो कोटिके वीर गिने जाते कि राजपूत जम बीर फत्ता। पारम्भिक काल ससलमान ऐतिहासिकोने रिन्दों को इस मोतिको प्रशंसा की हैमर निरौ इलियट हात भारत का इतिहास को प्रथम खयमे या वनख है कि हिन्दू किसी प्रर्दगको जीतकर सदा उसी कुलके किसी प्रतिष्ठित पुरुषको दै. देते थे। एक पौर ससन्तमान ऐतिहासिकने भी लिखा है कि हारे हुए प्रतियोगीका वर्ष या उमे बंदी करनेकी प्रथा हिन्दुषोंम म घो। यदि कोई ऐसा करता था तो लोग सेनामा देते थे।