पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/३०९

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विहार और चंगालके नरेश २७३ गडवड़ फैली । उसके अत्याचारका यह परिणाम हुआ कि चसि. कैवर्त जातिके सरदार दिव्य या दिव्योकने विद्रोह खडा कर दिया। इसमें महीपाल दूसरा मारा गया। दिव्यके स्थानपर उसका भतीजा भीम बरेन्द्रका राजा बन बैठा । रामपालने दूसरे राजाओं और राष्ट्रकूटोंको सहायताले भीमफो पराजित करके मार डाला और अपना सिंहासन वापस ले लिया। बावू तारानाथ वर्णन करते हैं कि रामपाल एक बहुत समझदार राजा था और उसका राज्य दूरतक पौला हुआ था। उसने उत्तर बिहारको, जिसमें चम्पारन और दर्भङ्गाके ज़िले मिले हुए हैं, विजय किया और आसामको भी अपने राज्यमें मिलाया। इस राजाके शासन- कालमें बौद्धधर्मका बहुत जोर हुआ। उसके पश्चात् इस वंशके पांच छोटे छोटे राजे राज्य करते रहे। यह वंश साढ़े चार सौ वर्पतक राज्य करता रहा। इस वंशने साहित्य और कलाके प्रचारमें बहुत यत्न किया। उनके राजत्वकालमें दो नामी शिल्पी हो गये हैं। उन्होंने चित्रकारी और दूसरी कलाओमें प्रसिद्धि लाम की। कहा जाता है कि सेनवंशने सन् १११६ ई० में सेनश । एक स्वतन्त्र राज्यकी स्थापना की। उनका पहला राजा विजयसेन था। इसने बहुतसा देश पलावंशसे छीन लिया। वह दूसरे वंशोंके साथ भी सफलतापूर्वक लडाइयाँ लड़ा। उसने चालीस वर्पतक राज्य किया। कहते हैं विजयसेनके मित्र कलिङ्गके राजा चोरगंगने ७१ चर्पतक राज्य किया। यङ्गालके ऐतिहोंने यल्लालसेन एक बहुत बल्लाल सेन । प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित नाम है।यह विजयसेनका पुन धा। कहते हैं इसने यंगालमें हिन्दू वर्ण-व्यवस्थाको दुवारा सापित किया। अधिक सम्भर है कि बौद्धधर्म के प्रभावसे +