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ग्यारहवां खण्ड दक्षिणा महारतका इतिहास । पहला परिच्छेद दक्षिण और मैसरका वृत्तान्त । संस्कृत-साहित्यमें विन्ध्याचलले दक्षिणके सारे प्रदेशको प्रायः दक्षिण नामसे पुकारा गया है। यह प्रदेश त्रिकोणाकार है और जैसा कि पहले भूगोलके वर्णनमें कह आये है भारतकी प्राचीन वस्ती इसी प्रदेशमें धौ और ठेठ भारत अर्थात् भार्यावर्तके बड़े भागमें समुद्र लहरेंमारता था। उस समयफे इतिहासका किसीको कुछ ज्ञान नहीं। संस्कृत साहित्यमें दक्षिणका पहला स्मरणीय उल्लेख रामायणमें मिलता है, यद्यपि स्वयं रामायणमें इस यातके साक्ष्य विद्यमान है कि आर्य-धर्म और भार्य सभ्यताका कुछ न कुछ प्रभाव उस समय भी दक्षिणमें या। नर्मदाके दक्षिण सबसे पहली बार आर्य सभ्यताका प्रवेश : ऐतिहासिक काला चन्द्रगुरुके कालमें कुमा। उसके पश्चात दक्षिणका थोड़ा बहुत क्रमिक सम्बंध उत्तर भारतके साथ रहा।