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पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/३८

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- ( १ ) । पिछले पचास वर्षों में वस्तुतः यूरोपीय अन्वेषकों और विद्वानोंने हिन्दू-इतिहास लिखना आरम्भ किया। बारम्भमें हिन्दू-कालके जो इतिहास लिखे गये घे बहुत अधूरे और अशुद्ध थे। परंतु ज्यों ज्यों अन्वेषण बढ़ता गया और जानकारीमें वृद्धि होती गई यह इतिहास अधिक पूर्ण और मधिक शुद्ध होता गया । पहले इतिहासोंमें जो परिणाम और घटनायें वर्णित थीं वे बहुत सी वातोंमें अव भ्रममूलक सिद्ध हो चुकी है। इस अपूर्ण प्रार- म्भिक ऐतिहासिक अन्वेषणके आधारपर इतिहासको जो पाट्य पुस्तकें बालकोंकी शिक्षाके लिये बनाई गई वे बहुत भटकाने- वाली थीं। सबसे पहले जिस अंगरेजने हिन्दु-इतिहासपर प्रकाश डाला वह बम्बईका गवर्नर मॉनस्टूअर्ट एलफिंस्टन था। हिन्दु शास्त्रोंका सबसे पहले अनुवाद करनेवाले अँगरेज़ सर विलियम, जोज और कोलघुक थे। उन्नीसवीं शताब्दीके अन्तिम पचास वर्षो में हिन्दू विद्वानों ने भी हिन्दू-इतिहासके भिन्न भिन्न अंगोंपर अन्येपण करना आरम्भ किया। यह अन्वेषण अबतक जारी है, और कोई नहीं कह सकता कि हिन्दू-काल और हिन्दू-सभ्य- ताका इतिहास अभी तक पूर्ण धन चुका है। हिन्दू-इतिहास अभी आविष्कृत हो रहा है। यूरोपीय अन्वेषकोंके अतिरिक्त, जिनके अन्वेषण और परिश्रमके लिये हम उनके हृदयसे कृतज्ञ है, हिन्दू-अन्वेपकों और विद्वानोकी भी एक बड़ी संख्या अय इस खोज में लगी हुई है। इस समय तक जो कुछ अन्वेपण हो चुका है उसके आधारपर हिन्द-कालके जो फमिक इतिहास तैयार किये गये हैं उनमें इस समय सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण और विश्वास्य श्रीयुत हेवल और श्रीयुत विसेंट स्मिथकी पुस्तकें है। विसेंट स्मिथकी 'अली हिस्टरी आव इण्डिया' सन् १९०४ ई०में प्रकाशित हुई थी। इसका तीसरा संस्करण सन् १९१४