। ( १२ ) •ई में निकला। परंतु सन् १९१६ ई० में विसेंट स्मिथने एक और पुस्तक समाप्त की। उसका नाम 'आक्सफोर्ड हिस्टरी आय इण्डिया' है। इसमें भारतका सम्पूर्ण इतिहास देनेकी चेटा की गई है। इस पुस्तकमें हिन्दू काल पर जो भाग है वह विंसेंट स्मिथ- का अन्तिम लेख है। उसके परिणाम कई बातोंमें उसकी सन् १६०४ ई० की पुस्तकके परिणामोंसे भिन्न हैं। विंसेंट स्मिथ इण्डियन सिविल सर्विसमें रह चुका था। उसके मन में कुछ पक्षपात ऐसे बैठे हुए थे जिनसे अपनी प्रकृति- को मुक्त करना उसके लिये असम्भव था। अपनी पुस्तकके पहले संस्करणोंमें उसने कई जगह इस पक्षपातका परिचय दिया है। कई वातोंमें उसने यह सिद्ध करनेकी चेष्टा की है कि 'हिन्दूसभ्यता और हिन्दूकलाका सर्वोत्तम भाग उनके अपने
- मस्तिष्कके उद्योगका फल न था वरन् याहरसे आया हुआ था।
शनैः शनैः नवीन घटनाओं के प्रकाशने और नवीन जानकारीने उसको अपने विचारों में परिवर्तन करने पर विवश किया। यद्यपि अय भी कहीं कहीं उसको अन्तिम पुस्तकोंमें इस पक्षपात- के चिह्न पाये जाते हैं परन्तु वे ऐसे हलके हैं कि उनपर ध्यान न देते हुए हम कह सकते हैं कि इस समय तक जो पुस्तके हिन्दुओंके राजनीतिक इतिहासपर लिखी गई हैं उनमेंसे विसेंट स्मिथकी अन्तिम पुस्तकें सबसे अधिक पूर्ण है। उनको लियने धौर सुव्यवस्थित करने में विद्वान् लेखकने अतीव परिश्रम और ईमानदारीसे काम लिया है। उसकी पुस्तकको विशेषता यह है कि प्रत्येक अध्यायकी समाप्तिपर रचयिताने उन सनदोंका प्रमाण दे दिया है जिनके आधारपर उसने उस अध्यायकी घट- नाओंको लेखबद्ध किया है।