चौथा परिशिष्ट कोम्ब्रिज हिस्टरी आव इण्डियाका प्रथम खण्ड । अर्थात् प्राचीन भारत । हमारी इस पुस्तककी बहुत सी कापियां इतिहास नहीं वरन् लिखी जा चुकी थी कि इंगलैंडके प्रसिद्ध निबंधसंग्रह है। विश्वविद्यालय केम्ब्रिजकी योरसे उनके 'भारत-इतिहास' नामक ग्रन्थका प्रथम खण्ड प्रकाशित हुआ। इसमें प्राचीन भारतको कथाका वर्णन किया गया है। यह इति- हास ईसाके संवत्फे भारम्भतकका है। शेष भाग दुसरे खण्डमें प्रकाशित होगा। तीसरे और चौथे खण्डमें मुसलमानोंके समयका और पांचवें और छठवें खण्डमें अगरेजी समयका इतिहास होगा। हमने इस मालाके पहले खण्डका ध्यानपूर्वक अध्ययन किया । हमारी सम्मतिमें यह इतिहास उस कोटिका नहीं जिसकी कि आशा की जा सकती थी। पहले तो उसको इतिहास कहना ही कठिन है। इसके भिन्न भिन्न परिच्छेद भिन्न मिन्न लेखकोंके लिखे हुए हैं और स्वभावतः ही उनके विचारोंमें कहीं कहीं भेद भी है। किसी एक व्यक्तिने किसी एक विचार- विन्दुको लेकर इस इतिहासको क्रमबद्ध नहीं किया। यास्तवमे यह इतिहास निबन्धोंका एक संग्रह है। इनमें भिन्न मिन्न यूरो- पीय विद्वानोंने प्राचीन भारतके सम्बन्धमें अपने विचार प्रकट
पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/४५६
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