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पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/४६८

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केमित्रज हिस्टरी आव इण्डियाका प्रथम खएट ४२५ - वैदिक कालकी सभ्यताके विपयमें अध्या- ऋग्वेदके समयको पक रपसनकी आगे लिखी सम्मतियां ध्यान सभ्यताका चित्र। देने योग्य हैं:- (१) ऋग्वेदमें एक स्त्रीके एकले अधिक पतियोंका का कोई उल्लेख नहीं। विवाहका सामान्य नियम एक पति और एक पती (मारोगेमी) था। बाल्यावस्थाके विवाहका भी कोई चिह्न नहीं। घर और कन्याको आपसमें पसन्द करनेका अधि- कार था। पृष्ठ ८८1 (२) जाति पांतिका भेद अभी हद नहीं हुआ था और परम्प. रागत न था। (पृष्ठ १२)। (३) राजा भूमिका स्वामी न समझा जाता था। (पृष्ठ १५)। (३) यद्यपि वेश्यायें थीं परन्तु माचारका बादर्श बहुत ऊंचा था। (पृष्ट ६७)। (१) वैदिक कालमें लोग बहुतसे शिल्पोको जानते थे और शिल्पके कारण किसी व्यक्तिको घृणाकी दृष्टिसे न देखा जाता था। यहईका काम, लोहारका काम, रायनाना, कपडे घुनना, सीना, बोरिये बनाना इत्यादि सबका उनको शान था। (पृष्ठ १००)। (६) वैदिक आयौंको जहाज चलाने और समुद्रका मान न था ४ (पृष्ठ १०१)। (७) जरीदार वस्त्रों और सोनेके आभूषणोंका बहुत यार उल्लेप मिला है। (पृष्ठ १०१)। (८) फल और तरकारी भोजनका प्रधान भाग था। (पृष्ठ १०१)।

  • इस विषयमं दखा यौ० अविनाशचन्द्र दासको नवीन पुसक। इसमें उन्होंन

वैदिक भूपिया जहान चम्बानले प्रमाप दिये है।