पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/४८१

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भारतवर्षका इतिहास भारतमें ईरानियोंका चौदहवें परिच्छेदमें अमरीकाके अध्यापक जैकसनने भारतमें ईरानी शासन। शासनका इतिहास लिखा है। यह वृतान्त रोचक है क्योंकि दूसरे इतिहासोंमें उसका बहुत संक्षेप- से वर्णन किया गया है। इस विषयपर जो कुछ ऐतिहासिक सामग्री प्राप्त हुई है उसको अध्यापक जैकसनने इस परिच्छेदमें लिख दिया है। परन्तु हमारी सम्मतिमें उसके परिणाम ऐसे नहीं जिनको निश्चित रूपसे प्रमाणित कहा जा सके। अध्यापक जैकसनने ईरानियोंका पक्ष लिया है और यह सिद्ध करनेकी चेष्टा की है कि हिन्दूकुशसे लेकर सिन्धु नदीतक और फिर उसके पश्चात् व्यास नदीतक भिन्न भिन्न समयोंमें ईरानी. राज्य रहा। परन्तु हमारी सम्मतिम' यह सर्वथा सिद्ध नहीं होता कि ईरानी राज्य कभी किसी समयमें सिन्धु नदीके पूर्व तक पहुंचा। अध्यापक एडवर्ड मेयरने यह मत प्रकट किया है और यह है भी ठीक क उत्तर-पूर्व में बहुत समयतफ भारत और ईरानी राज्यको राजनीतिक सोमा हिन्दूकुश रहा। जितने प्रमाण इस पुस्तकमें दिये गये है उनसे यह प्रकट होता है कि काबुल, गंधार और बलूचिस्तानके प्रदेशके लोगोंको ईरानी और हिन्दू-साहित्यमें और इसके अतिरिक्त यूनानी और लातीनी ऐतिहासिकाने भी हिन्दू कहकर पुकारा है। अध्यापक एडवर्ड मेयर स्पष्टरूपसे लिखते हैं कि गंधार और कावुलकी उपत्यकाके प्रदेशमें जो जातियां बसती थीं चे भारतीय वंशसे ..थों (पृ० ३२२)। बहुतसे विद्वानोंने जर्दश्तको महात्मा बुद्धका समकालीन माना है। ईरानियों की पवित्र पुस्तक "जन्दावस्ता" महात्मा गश्तकी रचना है। परन्त अध्यापक जैकसन "जन्दायस्ता को