पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/५९

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३२ भारतवर्षका इतिहास भारतीय विद्वानोंने भी इस ओर ध्यान दिया है और भारतीय इतिहासके भिन्न २ अङ्गों और कालोंपर प्रकाश डाला है । यूरो. पीय इतिहासकारोंमें, जिन्होंने भारतके इतिहासपर लेखनी उठायो है, फई ऐसे भी हैं जिनके सत्यानुराग, शुद्ध भाव और निष्कपटतामें हमको कोई सन्देह नहीं। परन्तु प्रायः हमारे विद्या- लयों में उनकी पुस्तकें नहीं पढ़ाई जातीं । हमारी संम्मतिमें इस सारे विवादका परिणाम यह है कि- (क ) भारतीय इतिहासकी यथोचित जानकारी प्रत्येक भारतीय बच्चे की शिक्षाका आवश्यक अङ्ग हो । (4) यह आवश्यक है कि भारतीय बच्चोंकी शिक्षाके लिये उनके हाथमे भारतका यथार्थ और विश्वास्य इतिहास दिया जाय। (ग) इस यथार्थ और विश्वास्य इतिहासका तैयार करना और उसको रुचिर रूपमें अपनी जातिके वञ्चोंके सामने उपस्थित करना भारतीय विद्वानों और महापुरुषोंका कर्त्तव्य है और यह ऐसा कर्तव्य है कि जिसकी उपेक्षा करना जातीय स्रोतको चिर कालके लिये गन्दे और दुर्गन्धयुक्त कीटाणुओंसे अपवित्र और सड़ा हुआ रहने देना है। (घ) यह कर्त्तव्य न हिन्दुगोंका है और न मुसलमानोंका और न किसी दूसरे धर्म-सम्प्रदायका, घरन् प्रत्येक भारतीयका है कि वह अपने देशकी सत्य घटनामोंका संग्रह फरके प्रका- शित करे। इतिहासके ये अर्य नहीं कि उसमें प्राचीन राजाओंकी लड़ा. इयोंका ही वर्णन हो या उनकी प्रशंसा या निन्दा हो । इतिहास- से अभिप्राय हमारे ऐसे इतिहाससे हैं जिसमें जाति धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक, नागरिक, और राजनीतिक उत्कर्ष तथा अधःपतनकी सत्य घटनामोंका उल्लेख हो। .