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पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/६३

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eu 1 ws भारतवर्षका इतिहास का और कोई चिह्न नहीं। वहां पानी भी पृथ्वी-तलसे,यहुत इस देशके अधिक भागमें खेती होती है। भूमि बहुत उर्वरा है, इसलिये अधिक जोतने और खाद डालनेकी आवश्यकता नहीं होती । जिस प्रचुरतासे विविध प्रकारके शस्य, बीज, फल और फूल इस देश में उत्पन्न होते हैं कदाचित् हीसंसारके किसी अन्य भागमें उत्पन्न होते हो। यहांके वृक्ष बड़े सुन्दर, छायादायक और फलदार हैं । हमारे देशके बहुतसे प्रदेश ऐसे हैं जो अपनी उपज- की दृष्टि से उद्यानके नमूने हैं। उनके दृश्य यहुत ही सुन्दर और मनोहर हैं। वहां सब प्रकारकी जड़ी बूटी, फल फूल और अन्य अनेक वस्तुयें उत्पन्न होती हैं। हमारे पर्वतोंमें यहुतसी घाटियां ऐसी मिलती हैं जो निस्सन्देह स्वर्गका नमूना है, जैसे कि काश्मीरकी दृश्यावली, फुल्लूकी घाटियां, और दार्जिलिङ्गकी चोटियां । ये सब इस लोकमें अद्वितीय है। काश्मीरके विषय किसी कविने सत्य कहा है:- अगर फिरदौस बर रूए जमीं अस्त । हमी अस्तो हमी यस्तो हमीं अस्त ॥. अर्थ-यदि भूतलपर कोई स्वर्ग है तो यह यही है, यही है, यही है। भौगोलिक दशा। इस देशको भौगोलिक दशाका संक्षिप्त वर्णन थागे चलकर किया जायगा। यहां केवल इतना लिखना ही पर्याप्त होगा कि यह देश सारे जगत्का शिरमौर है। सुन्दरता, महत्ता, उर्वरता और सम्पत्तिके साधनोंकी प्रचुरताकी दृष्टिसे संसारका कोई भी अन्य देश इसकी यरावरी नहीं कर सकता। यह देश इस योग्य है कि यहांके निवासी न केवल इसपर अभि- मान को घरन् शुद्धभावसे इसकी पूजा भी फरें