पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/६५

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३८ भारतवर्षका इतिहास अति दीर्घ तथा निराशाजनक यात्राके पश्चात् उसको एटला- ण्टिक महासागरमें पृथ्वी दिखाई दी तो वह यही समझ बैठा कि वह भूमि भारतकी है। फिर जब यह भूल मालूम हुई तो संसारके उस भागका नाम बदलकर पश्चिमी हिन्द या वेस्ट इण्डीज़ रख दिया गया। इसलिये यूरोपीय लोगोंने हमारे देश- का नाम पूर्वी हिन्द या ईस्ट इण्डीज़ रख दिया। परन्तु ईस्ट इण्डीज़ कभी कभी जाया और सुमात्राके द्वीपोंको भी कहते हैं, पयोंकि डच लोगोंने जब सबसे पहले यूरोपका व्यापार पूर्व के साथ समुद्री मार्गसे खोला तब उन्होंने भारतवर्प, लङ्का और भारतीय सागरके सभी द्वीपोंको, ईस्ट इण्डियाके नामसे पुकारा । फुछ भी हो इस समय हमारे लिये सबसे प्यारा और विश्व: व्यापी नाम " हिन्दूस्तान" है। क्या भारत एक देश है? कुछ लोगोंको चसका पड़ गया है कि भारत कोई एक देश नहीं। इसका क्षेत्र फल बहुत बड़ा होने और इसमें अनेक जातियोंके ऐसे मनुष्योंकी यस्तीके कारण, जिनके धर्म भी पृथक् पृथक हैं और जिनकी भाषायें भी अनेक है, वे लोग इस देशको एक देश और उसके निवासियोंको एक जाति नहीं मानते । इस प्रश्नके दो अग है, एक तो भौगोलिक दृष्टिके अनुसार और दूसरा सभ्यताकी दृष्टिसे। भौगोलिक दृष्टिसे तो प्रायः सभी मान्य लेखकोंने इस सारे देशको एक अभिन्न देश स्वीकार कर लिया है। सारा देश जो पेशावर और कराचीसे लेकर आसामको पूर्वी सीमाओंतक फैला हुआ है, और जो लम्याईमें हिमालयसे कुमारी अन्तरीपतक है, भौगोलिक दृष्टिसे एक ही देश मान यह कहनेका राजनीति और लिया गया है। राजनीतिक दृष्टि। राजनीतिक दृष्टिसे भी अधिकतर लोग