पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/६८

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भूगोल ४१ धर्म है कि वह जिस प्रकार प्रकृतिके अनेक दृश्योंमें परस्पर भेद देखने और सारे देवी देवताओं तथा अनेक सिद्धांतोंको माननेपर भी परमात्माको अद्वैत (एक) समझता है , ठीक वैसे ही यह सारे भारतको एक ही देश समझो और यहांके निवाल, सियोंको निज देशबंधु जाने, चाहे उनकी जाति, वर्ण, और धर्म कुछ भी हो। हिन्दुओंके पश्चात् सबसे बड़ी संख्या इस देशमें मुसलमानों की है । हिन्दू-सभ्यताने मुसलमान-सभ्यतापर अपना प्रभाव डाला है और इस यातसे भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि इसलामका भी हिन्दू-सभ्यतापर प्रभाव पड़ा है। इन दोनों संस्कृतियोंकी मिलावटसे इस देशमें एक ऐसी संस्कृति उत्पन्न हो गयी है जिसे एक वचन में भारतीय सभ्यता या भारतीय संस्कृति कह सकते हैं । हिन्दुओंके यहुतसे साधु, महात्मा और भक ऐसे हुए हैं जिनको मुसलमान सम्मानको दृष्टिसे देखते हैं । मुसलमान फकीरों और भकोंमें भी बहुतसे ऐसे हैं जिनको नोट २-अंगरेज इतिहामनार योविसेंट सिमधने, पपनी मौन पुस्तक, आवरकोर्ड हिस्टी आफ इन्डिया में इस विषयपर यह मत प्रशट किया है- India beyond all doubt passesses a deep underlying fundamental unity, far more profound thân that produc- ed either by Geographical isolation or by political suze- rainty. That 'unity transcends the innumerable diser- sitics of blood, colour, language, dress, manners and sect. अर्थ-निम्पन्देह भारतवर्ष में एक गहगे माणिक एकत है। बइ उससे बहुत विक गहरी है जो भौगोलिक पृयकरव और राजनीतिक पधौनतामे उत्पन्न होती है। यह एकमा उन भय विभिन्नताओं से परे है नो माति, वर्ग, भाषा, पशिनाव, भाचार ब्यबहार और मन मतान्तरों से उत्पन्न होती हैं।