1 भारतवर्षका इतिहास हिन्दू सम्मान भौर पूजाके योग्य समझते हैं । इसलामकी यह शिक्षा अवश्य है कि मुसलमान अन्य देशोंके मुसलमानोंको अपना प्रिय बन्धु समझे परन्तु इस शिक्षाका यह अर्थ नहीं निकलता कि वे भारतको अपनी जन्म-भूमि और अन्य: भारत निवासियोंको अपना देशबन्धु न समझे । गत पांच सात वर्ष की घटनाओंने हिन्दू मुसलमानोंकी राजनीतिक एकताको ऐसा दृढ़ कर दिया है कि अब किलोको यह कहनेकी गुञ्जायश नहीं . रही कि भारत राजनीतिक दृष्टि से एक अभिन्न भूभाग नहीं है । भारतकी सीमायें। भारतके चारों ओरकी सीमामोंका वर्णन यद्यपि पहले कर. आये हैं पर यहां उसको संक्षेपसे फिर लिखते हैं। भारतके उत्तरमें हिमालय पर्वत है। वह १६०० मील लंबा है। इसके पार तिब्बत देश है। इस उत्तरीय भागमें नेपाल, मोटान और सिकिम मिले हुए हैं। भारतके पूर्वमें ब्रह्मा और घङ्गालको खाड़ी हैं। ब्रह्मा इस समय ब्रिटिश भारतका एक अङ्ग है, परन्तु प्राकृतिक रूपसे वह भारतका अङ्ग नहीं है । भारतके पश्चिममें अफगानिस्तान, बलोचिस्तान और अरबसागर हैं। इसके दक्षिणमें लंकाद्वीप और भारतीय सागर है। इस देशका सागर-तर लगभग चार सहन मील लंया है। भारतके प्राकृतिक विभाग। साधारणतया यह देश दो प्राकृतिक भागों में घंटा हुआ है। इन भागोंको हिन्दुओंकी पुस्तकों में उत्तर मार दक्षिण लिंखा है। उत्तरमें वह भाग है जिसमें सिन्धु, गङ्गा, ब्रह्मपुत्र और उनमें गिरनेवाली उपनदियां और नाले यहते है । दक्षिण उस भागको . .
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