+ - भारतवपंका इतिहास तीय राजामों महाराजाओंको जीत लिया था। उत्तरमें काश्मीर तक, उत्तर-पश्चिममें महाराष्ट्रतक और पूर्व में गंजामतक उसने चढ़ाई की और उस प्रदेशके राजाओं को अपना करद बनाया । (च) दक्षिणमें महाराष्ट्र, कोसल, कलिङ्ग, आन्ध्र, कोंकण, धनकटक (धनककता), जोरिफा, द्रविड़ और माल्यंकूट ये है 'राज्य थे। नगरों और नदियोंकि प्राचीन पंजावकी नदियोंके प्राचीन, और वर्तमान नाम और स्थान नाम ये हैं जेहलम-वितस्ता। चनाय-चन्द्रभागा। रावी-ईरावती। व्यास-व्यासा। सतलुज-शतद। अब हम उन कतिपय बड़े बड़े नगरोंके नाम और स्थान बतलाते हैं, जिनका उल्लेख इस पुस्तकमें किया गया है- तक्षशिला-सुआन नदीके समीप हसन अवदाल और जेह- लमके यीच था। बहुत सम्भव है कि इस नगरकी स्थिति वैसी ही थी जैसी कि इस समय रावलपिएडीकी है। सिंहापुर या सिंघापुर-जेहलम जिलेके अन्तर्गत कटासके झरनेके समीप था। मतिपुर-पश्चिमी रुहेलखण्ड । ब्रह्मपुर-गढ़वाल और कुमाऊ। कौशाम्बी-यमुना नदीके तटपर प्रयागसे ऊपर स्थित है। प्रयाग-इलाहाबाद । वाराणसी या चनारस-बनारस।। चैशाली-गङ्गा नदीमे उत्तरमें तिहुत प्रान्त । . .
पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/७५
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