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पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/७४

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भूगोल ४ पूर्वीभारत, अर्थात् आसाम, बङ्गाल, गङ्गाके त्रिकोण द्वोपकी भूमि, सम्भलपूर, उड़ीसा और गंजाम । ५ दक्षिणी भारत अर्थात् सम्पूर्ण दक्षिण, पश्चिममें नासिक- तक, पूर्व में गंजामतक, दक्षिण में कुमारी अन्तरीपतफ। इसमें वर्तमान यरार, तैलङ्ग, महाराष्ट्र, कोंकण, हैदरायाद, मैसूर और द्रावड्डोर मिले हुए थे, अर्थात् वह सम्पूर्ण प्रदेश जो नर्मदा और महानदीके दक्षिणमें स्थित है । प्राचीन कालका चीनी पर्यटक ा न साङ्गके पर्यटनके समय सारा भारत अस्सी राज्यों में विभक्त था। राजनीतिक-विभाग इनसे कई छोटे छोटे राज्य बढे बढे राज्यों के अधीन थे। उदाहरणार्थ :- (क) उत्तर भारतमें कायुल, जलालाबाद, पेशावर, गजनी और वन्न सय कपिशा-नरेशको कर देते थे। इस नरेशकी राजधानी सम्भवतः चिरोकार थी। () पजाव-विशेपमें तक्षशिला, सिहापुर, उरूप (उसा) पोंच और राजावरी काश्मीरके महाराजाके अधीन थे। (ग) सारे मैदानी प्रदेश तथा मुलतान और शोरकोटके प्रदेश साङ्गला-नरेशके अधीन थे और यह स्थान लाहौरके समीप था। (घ) पश्चिमी भारतमें सिन्धके बल्लभी आदि राजा राज्य करते थे। (ट) मध्यभारतमें थानेश्वरसे लेकर गङ्गाके मुहानेतकमा सारा प्रान्त, उत्तरमें हिमालयसे लेकर नर्मदा किनारेतक जिसमें जालन्धरका राज्य मी मिला था, कनीजके राजा एर्ष. वर्घनके अधीन था। इस प्रदेशमें ३६ राज्य थे जो उसको कर देते थे। इस राजाने महाराष्ट्रके राजाको छोड़कर शेष सय मार-