पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/७७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

दूसरा खराड आर्योंके समयके पहले भारतकी दशा यूरोपके वैज्ञानिकोंका यह मत है कि मनुष्य अपने विकासमें अनेक अवस्थाओंमेंसे होकर वर्तमान अवस्थाको पहुंचा है। यह पहले पशु था और उन्नति करते करते अब उसने मनुष्यका चोला पाया है। यद्यपि इन विचारोंका आधार बहुत कुछ कल्पनापर है तोभी ये पड़े मनोरक्षक हैं और इन मोटे मोटे सिद्धान्तोंको संसारके बहुतसे विद्वान अव दार्शनिक मानते हैं । पृथ्वीमण्डलकी बनावट और उसपर प्रारम्भिक जीवनका आरम्भ होना एक बहुत ही रोचक विषय है, पर इस इतिहास. का उससे यहुत सम्बन्ध नहीं है। केवल • और कुछ आवश्यक अङ्क यहां लिखे जाते हैं। कुछ वैज्ञानिकोंका यह मत है कि इस पृथ्वीकी आयु दस करोड़ वर्षसे लेकर एक अरव साठ करोड़ घर्पतककी है। कहनेका प्रयोजन यह है कि भिन्न भिन्न विद्वानों ने इसकी आयु का पृथक् पृथका अनुमान किया है। सबसे पहला वह समय बताया जाता है जब बहुत सम्भव है कि, पृथ्वीपर कोई भी जीव विद्यमान नहीं था। दूसरा समय जो पहलेंके करोड़ों पर्ष पीछे आया यह समय है जब इसपर केवल छोटी मछलियां मुख्य मुख्य घटनायें .