पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१२४

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भारतवर्ष का इतिहास जैसे कि विधवाओं का सती होना, वा निरपराध कन्याओं की हत्या आदि को अपनी रियासत की सीमा में किसी जगह जारी रक्खे। यदि किसी रियासत का अधोश अनुचित रीति से शासन करने के कारण सिंहासन से उतार भी दिया जाता है तो भारत सरकार उसके स्थान में उसके किसो निकट सम्बन्धी का सिंहासन पर बैठा देती है। ८२- भारत महारानी इंगलिस्तान की छत्रछाया में अगले चार वाइसराय १–लार्ड एलगिन (सन् १८६२--१८६३ ई० तक ) दूसरे वाइसराय थे। वह जिस वर्ष भारत में पधारे उससे अगले हो वर्ष सन् १८६३ ई० में ११ वर्ष की आयु में वह परलोक सोधार गये, अतः वह प्रजा की भलाई करने के निमित्त जो बिचार अपने मन में लेकर भारत में आये थे, उन्हें पूरा न कर सके। उन्होंने आगरे में एक दरवार किया, और महारानी की आज्ञा अनुसार उत्तरोय भारत के नरेशों का जो इस दरवार में पधारे थे, यह बताया कि महारानी को उनके कल्याण को कैसी चिन्ता है, और वह उनकी भलाई के लिये कैसी कैसो शुभ कामनायें अपने पवित्र हृदय में रखती हैं, तथा आप उनको कैसी हितैषिणो हैं। इसके अतिरिक्त वाइसराय महोदय ने महारानी जी की ओर से यह आशा भो प्रगट की कि समस्त भारतीय नरेश अपनी अपनी रियासतों पर बड़ो उत्तमता से शासन करेंगे तथा अपनी प्रजा को सब भांति आनन्द और सन्तुष्ट रक्खेंगे। २--उसो बप अफ़ग़ानिस्तान का अमीर दोस्त मुहम्मद मृत्यु को प्राप्त हो गया। वह विद्रोह काल में वृटिश सरकार का बड़ा