पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/२१२

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२०२ भारतवर्ष का इतिहास करोड़ रुपया सरकारी इमारतों पर ४३ करोड़ रुपया डाक तार और टकसाल पर । ७~१४ करोड़ जो बचा वह छोटी छोटो मदों में खचे हो जाता है इसमें से १ करोड़ रुपया अकाल पीड़ितों की सहायता के लिये अलग रख लिया जाता है। तीन करोड़ रुपया तीन रुपया सैकड़ा की निरख से सरकारी कर्जे का सूद दिया जाता है। यह वह कर्जा है जो सरकार ने समय समय पर रेले बनाने या नहर खुदाने के लिये लिया है। यह फर्जा अब चार अरब से अधिक है। रेलों और नहरों की बड़ी आवश्यकता थी और साधारण आमदनी से उनका खर्च निकल नहीं सकता था। सूद देने में कोई कठिनाई नहीं है। सरकार अगरेजी को सब कोई तीन रुपया सैकड़ा ध्याज पर रुपया उधार देने को तैयार है। क्योंकि कर्जा देनेवाला जानता है कि उसका रुपया कहीं जा नहीं सकता। सरकार के हाथ में रहने में कोई जोखिम नहीं है।