सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:भारतीय प्राचीन लिपिमाला.djvu/१४८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१२० प्राचीनलिपिमाला श्लोकों में लाने में कठिनता रहती थी जिसको सरल करने के लिये संभवतः उक्त शारों के प्राचार्यों ने संख्यासूचक सांकेतिक शब्द स्थिर किये हों. ये सांकेतिक शब्द मनुष्य के अंग, छंदों अथवा उनके चरणों के अक्षर, देवता, साहित्य के अंग, ग्रह, नक्षत्र आदि एवं संसार के अनेक निश्चित पदार्थों की संख्या पर से कल्पित किये गये हैं प्रत्येक नाम के लिये संस्कृत भाषा में अनेक शब्द होने से प्रत्येक संख्या के लिये कई शब्द मिलते हैं जिनमें से कुछ नीचे दिये जाते हैं- -शून्य, ख, गगन, आकाश, अंबर, अभ्र, वियत् , व्योम, अंतरिक्ष, नभ, पूर्ण, रंध्र भादि १=प्रादि, शशि, इंदु, विधु, चंद्र, शीतांशु, शीतरश्मि, सोम, शशांक, मुधांशु, अब्ज, भू, भूमि, चिति, घरा, उर्वरा, गो, वसुंधरा, पृथ्वी, इमा, धरणी, वसुधा. इला, कु, मही, रूप, पितामह, नायक, तनु धादि. २-यम, यमल, अश्विन, नासत्य, दस्र, लोचन, नेत्र, अक्षि, दृष्टि, चक्षु, नयन, ईक्षण, पक्ष, बाहु, कर, कर्ण, कुच, ओष्ठ, गुल्फ, जानु, जंधा, दय, दंद, युगल, युग्म, अयन, कुटुंब, रविचंद्रौ आदि. 3राम, गुण, त्रिगुण, लोक, त्रिजगत्, भुवन, काल, त्रिकाल, त्रिगत, त्रिनेत्र, सहोदराः, अग्नि, वहि, पावक, वैश्वानर, दहन, तपन, हुनाशन, ज्वलन, शिग्विन् , कृशानु. होत आदि. ४-वेद. श्रुति, समुद्र, सागर, अब्धि, जलधि, उदधि, जलनिधि, अंबुधि, केंद्र, वर्ण, आश्रम, बुग, तुर्य, कृत, अय, आय, दिश् ( दिशा ) बंधु. कोष्ठ, वर्ण आदि. ५-याण, शर, सायक, इषु, भून, पर्व, प्राण, पांडव, अर्थ, विषय, महाभून, तत्व, इंद्रिय, रत्न आदि. ६-रस, अंग, काय, ऋतु, मासा, दर्शन, राग, अरि, शास्त्र. तर्क, कारक आदि. ७-नग, अग, भूभृत्, पर्वत, शैल, अद्रि, गिरि, ऋषि, मुनि, अत्रि, वार, स्वर. धातु, अश्व, तुरग, बाजि, छंद, धी, कलत्र, आदि. -वसु, अहि, नाग, गज, दंति, दिग्गज, हस्तिन् , मातंग, कुंजर, बिप, सर्प, तक्ष, सिद्धि, भूनि, अनुष्टुभ, मंगल आदि. ६=अंक, नंद, निधि, ग्रह, रंध्र, छिद्र, हार, गो, पवन आदि. १०=दिश, दिशा, आशा, अंगुलि. पंक्ति, ककुभ, रावणशिरम्, अवतार, कर्मन् मादि ११-रुद्र, ईश्वर, हर, ईश, भव, भर्ग, शूलिन् , महादेव. अक्षौहिणी आदि. १२-रवि, सूर्य, अर्क, मार्तड, शुमणि, भानु, आदित्य, दिवाकर, मास, राशि, व्यय आदि १३-विश्वेदेवाः, काम, अनिजगती, अघोष आदि १४-मनु, विद्या, इंद्र, शक्र, लोक आदि. १५=तिथि, घस्र, दिन, अहन्पच आदि. १६-अप, भूप, भूपति, अष्टि, कला आदि. १७-अत्यष्टि. १८-धृति. १६ अतिधृति. २०- नख, कृति. २१ =उत्कृति, प्रकृति, स्वर्ग. २२= कृती, जाति. २३ - विकृति. २४ - गायत्री, जिन, महंत, सिद्ध प्रादि. २५-- तस्व. २७ नक्षत्र, उहु, म मादि. ३२-दंत, रद मादि. ३३ = देव, अमर, त्रिदश, सुर भादि. ४८-जगती. ४६-तान. ४०.नरक