१८६ प्राचीनलिपिमाला, चलाया. वह बहुत दिन तक चलता रहा और अब सिर्फ मिथिला में कहीं कहीं लिखा जाता है.' ई. स. १७७७ में डॉ. राजेंद्रखाल मित्र ने लिग्वा कि 'निरहुत के पंडित इसका प्रारंभ माघ शुक्ला १ से मानते हैं. इसका प्रारंभ ई. स. ११०६ के जनवरी (वि. सं. ११६२-श. सं. १०२७) से होना चाहिये'. इन पिछले तीनों अवतरणों के अनुसार शक संवत् और लक्ष्मणसेन संवत् के बीच का अंतर १०२८ या उसके करीब आता है. मिथिला देश के पंचांगों में विक्रम, शक और लक्ष्मणसेन संवत् तीनों लिखे जाते हैं परंतु उनमें शक संवत् और लक्ष्मणमेन संवत् के बीच का अंतर एकसा नहीं मिलता किंतु लक्ष्मणसेन संवत् १ शक संवत् १०२३-२७, १०२७-२८, १०२६-३० और १०३०-३१ के मुताबिक पाता है. डॉ. कीलहॉर्न ने एक शिलालेग्व और पांच हस्तलिखित पुस्तकों में लक्ष्मणसेन मंवत् के माथ दिये हुए मास, पक्ष, तिथि और वार को गणित से जांच कर देग्वा नो मालूम हुआ कि गत शक संवत् १०२८ मार्गशिर सुदि १ (ई. स. ११०६ तारीव २६ अक्टोवर ) को इस संवत् का पहिला दिन अर्थात् प्रारंभ मान कर गणित किया जावे तो उन ६ में में ५ तिथियों के वार ठीक मिलते हैं। परंतु गत शक संवत् १०४१ अमान कार्तिक शुक्ला १ (ई. म. १११६ तारीख ७ अक्टोबर) को हम संवत् का पहिला दिन मान कर गणित किया जावे तो छओं तिथियों के वार मिल जाते हैं. ऐसी दशा में अवुल्फ़ज़ल का कथन ही ठीक है. इस हिसाय मे लदमणसेन मंवत् में १०४०-४१ जोड़ने मे गत शक संवत्, १९७५-७६ जोड़ने मे गत चैत्रादि विक्रम संवत और १११८-१९ जोड़ने में ईमवी मन होगा. यह संवत् पहिले बंगाल, बिहार और मिथिला में प्रचलित था और अब मिथिला में इसका कुछ कुछ प्रचार है, जहां इसका प्रारंभ माघ शुक्ला ? में माना जाता है. १५-पुडुवैप्पु संवन्. ई.स. १३४१ में कोचीन के उत्सर में एक टापू (१३ मील लंया और १ मील चौड़ा) समुद्र में से निकल माया, जिसे 'बीपीन' कहते हैं, उसकी यादगार में वहां पर एक नया संवत् चला जिस- को पुड्डुवैप्पु (पुटु-नई; वेप मायादी; मलयाळम् भाषा में ) कहते हैं: कोचीन राज्य और रच ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच जो संधि हुई वह नाये के ५ पत्रों पर खुदी हुई मिली है जिसमें पुडुवेप्पु संवत् ३२२, १४ मीनम् ( मीन संक्रांति का १४ वां दिन1. स. १६६३ तारीख २२ मार्च ) लिखा है। यह संवत् कोचीन राज्य में कुछ कुछ चलता रहा परंतु अय उसका प्रचार पाया नहीं जाता. . २०-राज्याभिषेक संवत् राज्याभिषेक संवत्, जिसको दचिणी लोग 'राज्याभिषेक शक' या 'राजशक' कहते हैं, मराठा राज्य के संस्थापक प्रसिद्ध शिवाजी के राज्याभिषेक के दिन अर्थात् गत शक संवत् १५९६ (गत चैत्रादि वि. सं. १७३१) मानंद संवत्सर ज्येष्ठ शुक्ला १३ (तारीख' जुन ई. स. १६७४ ) से . ज ए. सी बंगा, जि ४७, भाग १, ३६८. ..: जि. १६, ५ ६. टा. पा सी; जि. १, पृ. २६. ५ दा पा सी , जि १, पृ. २८-२९.
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