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पृष्ठ:भारतीय प्राचीन लिपिमाला.djvu/२२

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सुचीपत्र. शिपिपत्र २०षां मेवाड़ के राहिलवंशी राजा अपराजित के समय के लेख मे. २१वां-राजा हर्ष के दानपत्र तथा गजा अंशुवर्मन् , दुर्गगण मादि के लेखों से. २० धां-चंबा के गजा मरुवर्मन् के ५ लखों म. २३ वां-प्रतिहारवंशी राजा नागभट, बाउक और कककुक के लेखों से. (नागरी लिपि-लिपिपत्र २४-२७). २४ घां-जावदेव के दानपत्र, विजयशल के लख र हस्तलिखित पुस्तकों से २५ वां-देवल, धार, उदयपुर ( ग्वालियर ) श्रार उजन क लवास २६ वां-चंद्रदेव के दानपत्र, हस्तलिखित पुस्तक और जाजल्लदेव के लेख से २७ घां-परमार धारावर्ष, चाहमान चाचिगदय और गुहिल समरसिंह के समय लेखो से (शारदा लिपि-लिपिपत्र २८-३१). २८ पां-सराहां से मिली सात्यक वे समय की प्रशस्ति से २६ वां-सुंगल से मिले हुए राजा विदग्ध के दानपत्र से ३० चां-भिन्न भिन्न दानपत्रों और शिलालेखों से. ३१ षां--कुल के राजा बहादुरसिंह के दानपत्र बार हस्तलिखित पुस्तको से (बगला लिपि-लिपिपत्र ३२-३५). ३२ घां-बंगाल के गजा नारायणपाल और विजयसन समय के लेखों से ३३ घां-बंगाल के राजा लक्ष्मणमेन और कामरूपके वद्यदव के दानपत्री से ३४ वां-बल्लभंद्र के द नपत्र और हस्तलिाखत पुस्तकों से २५ वां-हनाकाल के लख और पुरुषात्तमदध के दानपत्र से 10 15 (पश्चिमी लिपि-लपिपत्र ३६-४०) ३६ वां-- राजा नरधर्मन और मागुप्त के समय के मंदसौर। लखों से ३७ वां-पलभी राजा ध्रयम्न और धरसन ( दृस ) के दानपत्री से ३८वां-गारुलक सिहादित्य और बलभीक गजाशीलादित्य ( पाच्य ) के दानपत्रों से ३६वां-फूटकवंशी दहसन और गुर्जग्वंशी रणग्रह तथा दद्द ( दुसर ) के दानपत्रों से. ४० वां-चालुपय युघराज थ्याश्रय (शीलादित्य ) और राष्ट्रकट कर्कराज के दानपत्रों से " (मध्यप्रदेशी लिपि-लिपिपत्र ४१-४२). ४१वां-बाकाटक घंशी गजा प्रवरसेन ( दुसरे के तान दानपत्रों से. ४२ वां--पृथिवीसेन, महासुदेव और तिविरदेव के दानपत्रों से 10 " " " ( तेलुगु कनडी लिपि-लिपिपत्र ४३-५१). ४३ घां-पल्लववंशी गजा विष्णुगोपवर्मन और सिंहवर्मन के दानपत्रों से ४४ षां-कदंषवंशी राजा मृगशवर्मन और काकुस्थवर्मन क दानपत्रों से ४५ वां- चालुक्यवंशी राजाश्री के लेख और दानपत्रा स. ४६ वां-केंदूर से मिल हुए चालुक्यवंशी गा कानिधर्मन (दुर ) के दानपत्र में ४७ वां-बहब से मिल हुए गष्टकूट वंशी राजा प्रभृनवर्ष ( गाविदगज तीसरे ) के दानपत्र से ४८ वां-पूर्वी चालुफ्यवंशी राजा भीम ( दुसरे ) भार अम्म ( दुसर । के दानपत्रों से. ४६ षां-कोरुमेल्लि से मिल हुए पूर्वी चालुक्यवंशी गजगज के दानपत्र से. ५०वां-काकतीयवंशी गजा रुद्रदेव आर गणपति के समय के लखो से ५५ षां-नामय नायक, अन्नवम और गाणदेव के दानपत्री से " 1 " १९