पृष्ठ:भारतीय प्राचीन लिपिमाला.djvu/२२४

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२६४ प्राचीनलिपिमाला. इम सन् में १५५५-५६ मिलाने से ई. म. और १६१२ मिलाने से विक्रम संवत् धनता है. यह मन भक्चर और जहांगीर के समय तक चलता रहा परंतु शाहजहां ने गद्दी बैठते ही (ई.स. १६२८) इस मन् को मिटा दिया. यह मन केवल ७२ के करीब ही प्रचलित रहा और अक्षर तथा जहांगीर के ममय की लिखावटों, मिकों तथा इतिहाम के पुस्तकों में लिखा मिलता है. ३४-ईसवी सन् ईमयी मन् ईमाई धर्म के प्रवर्तक ईमा ममीह (जीमम् क्राइस्ट ) के जन्म के वर्ष मे चला हुआ माना जाता है और ईसा ममीह के नाम से इमको ईसवी मन् कहते हैं. ई. म. की पांचवीं शताब्दी तक तो इम मन् का प्रादुर्भाव भी नहीं हुआ था. ई. म. ५२७ के बामपाम रोम नगर (इटली में) के रहनेवाले डायोनिमित्रम् एक्मिगुभस् नामक विद्वान् पादरी ने मजहबी मन् चलाने के विचार से हिमाव लगा कर १६४ वें ओलिंपिअड् के चौथे वर्ष अर्थात् रोम नगर की स्थापना मे ७६५ ३ वर्ष में ईमा मसीह का जन्म होना स्थिर किया और वहां मे लगा कर अपने ममय तक के वर्षों की संख्या नियन कर ईमाइयों में इस मन् का प्रचार करने का उद्योग किया. ई स. की छठी शताब्दी में इटली में, पाठवीं में इग्लैंड में, आठवीं तथा नवीं शताब्दी में फ्रान्म, बलजिश्रम्, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में और ई. म. १००० के आम पाम तक यूरोप के समस्त ईसाई देशों में इसका प्रचार जहां की काल गणना पहिले भिन्न भिन्न प्रकार से थी. अब तो बहुधा मारे भूमंडल में इसका, कहीं कम कहीं ज्यादा, प्रचार है. मन् के अंकों को छोड़ कर बाकी मष बातों में यह रोमन लोगों का ही वर्ष है. रोमन लोगों का पंचांग पहिले जुलिश्रम मीज़र ने स्थिर और ठीक किया था. गया, १. ईसा मसीह का जन्म किस वर्ष में हुआ यह अनिश्चित है इस मन के उत्पादक डायानिमिअस एक्सिगुस् ने ईसा का जन्म राम नगर की स्थापना से ७६५ वे वर्ष ( वि सं. ५७ ) में होना मान कर इस मंघन के गत वर्ष स्थिर किये परंतु अब बहुत से विद्वानों का मानना यह है कि ईसा का जन्म ई स पूर्व ८ से ४ के बीच हुआ था न कि ई म.. में (दी न्यू एन्साइक्लोपीडिया, ऍच. सी श्री' नील मंपादितः पृ. ८७०) २. प्रीस (यूनान ) देश में ज़अस (जुपिटर इंद्र) श्रादि देवताओं के मंदिगै लिये पवित्र माने जानेवाले श्रोलि. पस पर्वत के आगे के मैदान में प्राचीन काल से ही प्रति चौथ वर्ष शारीरिक बल की परीक्षा के दंगल हुआ करते थे जिनको 'पोलिपिक गेम्स' कहते थे इमपर मे एक दंगल में दूसरे दंगल के बीच के ४ वर्षों की संक्षा प्रोलिपिश्राइ' दुई पहिले उसादेश में कालगणना के लिये कोई मन ( संघन् ) प्रचलित न थाम लियई म पूर्व २६४ के आसपास सिसिली नामक द्वीप के रहनेवाले टिमेअस नामक विज्ञान ने हिमाब लगा कर जिस आलिपिनद में कॉराइबस् पैदल दौड में जीत पाया था उमको पहिला प्रोलिंपिश्रद मान कर ग्रीका में कालगणना की नीव डाली यह पहिला प्रोलिपिडा स. पूर्व ७७६ में होना माना गया. • ग्रीको की नाई रोमन लोगों में भी प्राचीन काल में कालगणना के लिये कोई मन् प्रचलित न था इस लिये पीछे से रोम नगर की स्थापना के वर्ष से सन् कायम किया गया, परंतु जिस समय यह सन् स्थिर किया गया उस समय गेम नगर को बसे कई शताब्दियां बीत चुकी थीं इस लिये वहां के इतिहास के भिन्न भिन्न पुस्तकों में रोम की स्थापना सन् लिखा गया है उसका प्रारंभ एकसा नहीं मिलता रोमन इतिहास का सब से प्राचीन, लेखक फॅविस पिक्टर (६ स पूर्व २२०) ई.स. पूर्व ७४७ से; पॉलिविस् (ई म पूर्व २०४-१२२ ) ७५० से, पॉसिमस् कॅटो (ई. स पूर्व २३४- १४४) ७४१ से. यॉर्गप्रस् फ्लॅशस् ७४२ से और टेरेटिभम् ( . स पूर्व ११६-२७) ई स पूर्व ७५३ से इस सन् का प्रारंभ मानता है. वर्तमान इतिहास लेखक घरों का अनुकरण करते है. ४. प्रारंभ में रोमन लोगों का वर्ष ३०४ दिन का था जिसमें मार्च से रिसेंबर तक के १० महीने थे. जुलाई के स्थानापन मास का नाम 'किकिलिस्' और ऑगस्ट के स्थानापन्न का नाम 'सेस्टिलिस्' था. फिर नुमा पॉपिलि- अम् (इ. स. पूर्व ७१४-६७२) राजा ने वर्ष के प्रारंभ में जेन्युमरी (जनवरी ) और अंत में फेहभरी ( फरवरी) मास बढ़ा कर १२ चांद्र मास अर्थात् ३५५ दिन का वर्ष बनाया.ई.स. पूर्व ४५९ से चांद्र पर्व के स्थान पर सौर वर्ष माना जाने लगा जो ३५५ दिन का ही होता था परंतु प्रति दूसरे वर्ष ( एकांतर से ) क्रमशः २१ और २३ दिन बड़ाते थे, जिससे वर्ष के १४६५ दिन और १ वर्ष के ३६६ दिन होने लगे. उनका यह वर्ष पासविक सौर वर्ष से करीब