पृष्ठ:भारतेंदु नाटकावली.djvu/११०

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१०---नीलदेवी

नीलदेवी एक ऐतिहासिक नाटक है, जो सं० १९३८ में लिखा गया है पर इसकी ऐतिहासिकता के विषय में निश्चित रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता। कहा जाता है कि भारतेन्दु जी ने जिस अंग्रेजी काव्य की कुछ पंक्तियाँ आरंभ में उद्धृत की हैं उसी के कथानक के आधार पर इस नाटक का निर्माण किया है। पर ये पंक्तियाँ किस काव्य की हैं इसका भी उल्लेख नहीं हुआ है इसलिए उस काव्य को देखकर भी इसके आधार का पता नहीं लगाया जा सका। इन पंक्तियों से केवल इतना पता लगता है कि शरीफ को मारकर सूर्यदेव की रानी उसका सिर काट कर लाती है और पति के शव के पैरो के पास उसे फेंककर सती होने की तैयारी करती है। नाटक का कथानक संक्षेप में यही है कि अब्दुल् शरीफ सूर पंजाब-नरेश सूर्यदेव पर चढ़ाई करता है, सम्मुख युद्ध में परास्त होने पर धोखे से रात्रि में धावा कर उसे कैद कर लेता है। उसके पुत्र आदि सम्मुख युद्ध की राय देते हैं पर रानी नीलदेवी ने यह राय नहीं स्वीकार की और स्वयं गायिका का रूप धारण कर शरीफ के दरबार में गई और वहाँ उसको मारकर पति का शव ले आई और सती हो गई। शरीफ की सेना भाग गई। तात्पर्य यह कि वह अँग्रेजी काव्य अवश्य ही इस रूपक का एक आधार रहा है, पर पूरे काव्य के पता लगने पर तुलनात्मक दृष्टि से दोनों पर विचार किया जासकेगा।

आरम्भ में दुर्गा सप्तशती के कुछ श्लोक उद्धृत कर उस देवी