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भारतेंदु-नाटकावली

रहा है और कोई भाग में ऐसा जल गया है कि कहीं पता भी नहीं है। वाह रे शरीर, तेरी क्या-क्या गति होती है!! सचमुच मरने पर इस शरीर को चटपट जला ही देना योग्य है, क्योकि ऐसे रूप और गुण जिस शरीर में थे उसको कीड़ों पा मछलियो से नुचवाना और सड़ाकर दुर्गधमय करना बहुत ही बुरा है। न कुछ शेष रहेगा न दुर्गति होगी। हा! चलो आगे चलें। ( खबरदार इत्यादि कहता हुआ इधर-उधर घूमता है )

( पिशाच और डाकिनीगण परस्पर आमोद करते और गाते-बजाते हुए आते हैं )

पि०---

और डा० हैं भूत प्रेत हम, डाइन हैं छमाछम,
हम सेवै मसान शिव को भजै बोलै बम बम बम।

पि०---

हम कड़ कड़ कड़ कड़ कड़ कड़ हड्डी को तोड़ेगे।
हम भड़ भड़ धड़ धड़ पड़ पड़ सिर सबका फोड़ेंगे।

डा०---

हम घुट घुट घुट घुट घुट घुट लोहू पिलावेंगी।
हम चट चट चट चट चट चट ताली बजावेंगी॥

सब---हम नाचें मिलकर थेई थेई थेई थेई कूदें धम् धम् नम्र। हैं भूत०--

पि०---

हम काट काट कर शिर का गेंदा उछालेंगे।
हम खींच खींच कर चरबी पंशाखा बालेंगे॥