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भारतेंदु-नाटकावली

दौड़ के किसी गुनी को बुलाओ जो जिलावे बच्चे को। अरे वह सॉप कहाँ गया, हमको क्यों नहीं काटता? काट रे काट, क्या उस सुकुँआर बच्चे ही पर बल दिखाना था? हमें काट। हाय! हमको नहीं काटता। अरे यहाँ तो कोई सॉप-वॉप नहीं है। मेरे लाल झूठ बोलना कब से सीखे? हाय-हाय! मैं इतना पुकारती हूँ और तुम खेलना नहीं छोड़ते? बेटा, गुरुजी पुकार रहे हैं, उनके होम की बेला निकली जाती है। देखो, बड़ी देर से वह तुम्हारे आसरे बैठे है। दो जल्दी उनको दूब और बेलपत्र। हाय! हमने इतना पुकारा, तुम कुछ नहीं बोलते! ( जोर से ) बेटा, सॉझ भई, सब विद्यार्थी लोग घर फिर आए; तुम अब तक क्यों नहीं आए? (आगे शव देखकर) हाय-हाय रे! अरे मेरे लाल को सॉप ने सचमुच डस लिया! हाय लाल! हाय रे! मेरे अॉखों के उजियाले को कौन ले गया! हाय मेरा बोलता हुआ सुग्गा कहाँ उड़ गया! बेटा! अभी तो बोल रहे थे, अभी क्या हो गया! हाय मेरा बसा घर अाज किसने उजाड़ दिया! हाय मेरी कोख में किसने आग लगा दी! हाय, मेरा कलेजा किसने निकाल लिया! ( चिल्ला-चिल्लाकर रोती है ) हाय, लाल कहाँ गये? अरे! अब मैं किसका मुँह देखके जिऊँगी रे? हाय! अब मा कहके मुझको कौन