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श्रीचंद्रावली
बन०---अरी का तू याहि नॉयँ जानै? यह राजा चंद्रभानु की बेटी चंद्रावली है।
वर्षा---तौ यहाँ क्यों बैठी है?
बन०---राम जानै। ( कुछ सोचकर ) अहा जानी! अरी, यह तो सदा ह्यॉई बैठी बक्यौ करैहै और यह तो या बन के स्वामी के पीछे बावरी होय गई है।
वर्षा---तौ चलौ यासूँ कछू पूछैं।
बन०---चल।
( तीनों पास जाती हैं )
बन०---( चंद्रावली के कान के पास ) अरी मेरी बन की रानी चंद्रावली! ( कुछ ठहरकर ) राम! सुनैहू नहीं है! ( और ऊँचे सुर से ) अरी मेरी प्यारी सखी चंद्रावली! ( कुछ ठहरकर ) हाय! यह तो अपुने सों बाहर होय रही है। अब काहे को सुनैगी। ( और ऊँचे सुर से ) अरी! सुनै नॉयनै री मेरी अलख लड़ैती चंद्रावली!
चंद्रा०---( आँख बंद किए ही ) हाँ हाँ अरी क्यों चिल्लाय है? चोर भाग जायगो---
बन०---कौन सो चोर?
चंद्रा०---माखन को चोर, चीरन को चोर और मेरे चित्त को चोर।
भा० ना०---१४