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भारतेंदु-नाटकावली

तो चूक गए, अब मारे जायहींगे तब उसने उस कल के लोहे की कील से उस ऊँचे तोरन के स्थान ही पर से चंद्रगुप्त के धोखे तपस्वी वैरोधक को हथिनी ही पर मार डाला।

राक्षस---हाय! दोनो बात कैसे दुःख की हुई कि चंद्रगुप्त तो काल से बच गया और दोनो बिचारे बर्बर और वैरोधक मारे गए। ( आप ही आप ) दैव ने इन दोनों को नहीं मारा हम लोगो का मारा!! ( प्रकाश ) और वह दारुवर्म बढई क्या हुआ?

विराध०---उसको वैरोधक के साथ के मनुष्यों ने मार डाला।

राक्षस---हाय! बड़ा दुःख हुआ! हाय प्यारे दारुवर्म का हम लोगो से वियोग हो गया। अच्छा! उस वैद्य अभयदत्त ने क्या किया?

विराध०---महाराज! सब कुछ किया।

राक्षस---( हर्ष से ) क्या चंद्रगुप्त मारा गया?

विराध०---दैव ने न मरने दिया।

राक्षस---( शोक से ) तो क्या फूलकर कहते हो कि सब कुछ किया?

विराध०---उसने औषधि में विष मिलाकर चंद्रगुप्त को दिया, पर चाणक्य ने उसको देख लिया और सोने के बरतन