में रखकर उसका रंग पलटा जानकर चंद्रगुप्त से कह दिया कि इस औषधि में विष मिला है, इसको न पीना।
राक्षस---अरे वह ब्राह्मण बड़ा ही दुष्ट है। हाँ, तो वह वैध क्या हुआ?
विराध०---उस वैद्य को वही औषधि पिलाकर मार डाला।
राक्षस---( शोक से ) हाय हाय! बड़ा गुणी मारा गया। भला शयनघर के प्रबंध करनेवाले प्रमोदक ने क्या किया?
विराध०---उसने सब चौका लगाया।
राक्षस---( घबड़ाकर ) क्यों?
विराध०---उस मूर्ख को जो आपके यहाँ से व्यय को धन मिला सो उससे उसने अपना बड़ा ठाट-बाट फैलाया। यह देखते ही चाणक्य चौकन्ना हो गया और उससे अनेक प्रश्न किए, जब उसने उन प्रश्नों के उत्तर अंडबंड दिए तो उस पर पूरा संदेह करके दुष्ट चाणक्य ने उसको बुरी चाल से मार डाला।
राक्षस---हा! क्या देव ने यहाँ भी उलटा हमीं लोगों को मारा! भला वह चंद्रगुप्त को सोते समय मारने के हेतु जो राजभवन में वीभत्सकादिक वीर सुरंग में छिपा रखे थे उनका क्या हुआ?
विराध०---महाराज! कुछ न पूछिए।