पृष्ठ:भारतेंदु नाटकावली.djvu/५४८

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मुद्राराक्षस

वर्ष में आया था तब मगध देश हर्षवर्धन नामक कन्नौज के राजा के अधिकार में था। किंतु दूसरे इतिहास-लेखक सन् २०० से ४०० तक बौद्ध कर्णवंशी राजाओं को मगध का राजा बतलाते हैं और अंध्रवंश का भी राज्यचिह्न संभलपुर में दिखलाते हैं।

सन् १२९२ ई० में पहले इस देश में मुसलमानो का राज्य हुआ। उस समय पटना बनारस के बंदावत राजपूत राजा इंद्रदमन के अधिकार में था। सन् १२२५ में अलतिमश ने गयासुद्दीन को मगध प्रांत का स्वतंत्र सूबेदार नियत किया। इसके थोड़े ही काल पीछे फिर हिंदू लोग स्वतंत्र हो गए। फिर मुसलमानो ने लड़कर अधिकार किया सही, किंतु झगड़ा नित्य होता रहा, यहाँ तक कि सन् १३९३ में हिंदू लोग स्वतंत्र रूप में फिर यहाँ के राजा हो गए और तीसरे महमूद की बड़ी भारी हार हुई। यह दो सौ बरस का समय भारतवर्ष का पैलेस्टाइन का समय था। इस समय में गया के उद्धार के हेतु कई महाराणा उदयपुर के देश को छोड़कर लड़ने आए*।


  • गया के भूगोल में पडित शिवनारायण त्रिवेदी भी लिखते हैं---

"औरगाबाद से तीन कोस अग्निकोण पर देव बडी भारी बस्ती है। यहाँ श्रीभगवान् सूर्यनारायण का बड़ा भारी संगीन पश्चिम रुख का मंदिर है। यह मंदिर देखने से बहुत प्राचीन जान पडता है। यहाँ कातिक और चैत की छठ को बडा मेला लगता है। दूर दूर के लोग यहाँ आते और अपने लडकों के मुंडन-छेदन आदि की मनौती उतारते हैं। मदिर