जीत लिया। इसके पीछे बंगाल के पठानो से और जौनपुरवालों से कई लड़ाई हुईं और सन् १४९४ में दोनो राज्य में एक सुलहनामा हो गया। इसके पीछे सूर लोगो का अधिकार हुआ और शेरशाह ने बिहार छोड़कर पटने को राजधानी किया। सूरो के पीछे क्रमान्वय से ( १५७५ ई० ) यह देश मुग़लो के अधीन हुआ और अंत में जरासंघ और चंद्रगुप्त की राजधानी पवित्र पाटलिपुत्र ने आर्य वेश और प्रार्य नाम परित्याग करके औरंगजेब के पोते अजीमशाह के नाम पर अपना नाम अजीमाबाद प्रसिद्ध किया। ( १६९७ ई०) बंगाले के सूबेदारो में सबसे पहले सिराजुद्दौला ने अपने को स्वतंत्र समझा था किंतु १७५७ ई० की पलासी की लड़ाई में मीर जाफर अंगरेज़ो के बल से बिहार, बंगाला और उड़ीसा का अधिनायक हुआ। कितु अंत में जगद्विजयी अँगरेजों ने सन् १७६३ में पूर्व में पटना पर अधिकार करके दूसरे बरस बकसर की प्रसिद्ध लड़ाई जीतकर स्वतंत्र रूप से सिंहचिह्न की ध्वजा की छाया के नीचे इस देश के प्रांत मात्र को हिंदोस्तान के मानचित्र में लाल रंग से स्थापित कर दिया।
जस्टिन ( Justin ) कहता है---( १ ) संद्रकुत्तम महा- पराक्रमी था। असंख्य सैन्य संग्रह करके विरुद्ध लोगों का
( 1 ) Justin His. Phellipp. Lib XV Chap. IV.