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भारतेंदु-नाटकावली

प्रदेश मिलने ही से तिब्बतवाले इस देश को अनुखेक वा अनोनखेक कहते है; और तातारवाले इस देश को एनाकाक लिखते हैं।

सिसली डिउडोरस ने लिखा है कि मगधराजधानी पाली-पुत्र भारतवर्षीय हक्र्यूलस ( हरिकुल ) देवता-द्वारा स्थापित हुई। सिसिरो ने हक्र्युलस ( हरिकुल ) देवता का नामांतर बेलस ( बलः ) लिखा है। बल शब्द बलदेवजी का बोध करता है और इन्हीं का नामांतर बली भी है। कहते हैं कि निज पुत्र अंगद के निमित्त बलदेवजी ने यह पुरी निर्माण की, इसी से बलीपुत्रपुरी इसका नाम हुआ। इसी से पालीपुत्र और फिर पाटलीपुत्र हो गया। पाली भाषा, पाली धर्म, पाली देश इत्यादि शब्द भी इसी से निकले हैं। कहते है कि बाणासुर के बसाए हुए जहाँ तीन पुर थे उन्हीं को जीतकर बलदेवजी ने अपने पुत्रों के हेतु पुर निर्माण किए। यह तीनो नगर महाबलीपुर इस नाम से एक मद्रास हाते में, एक विदर्भदेश में ( मुज़फ़्फ़रपुर वर्त्तमान नाम ) और एक ( राजमहल वर्तमान नाम से ) बंगदेश में है। कोई-कोई बालेश्वर, मैसूर, पुरनियाँ प्रभृति को भी बाणासुर की राजधानी बतलाते हैं। यहाँ एक बात बड़ी विचित्र प्रकट होती है। बाणासुर भी बलीपुत्र है। क्या आश्चर्य है कि पहले उसी के नाम से बलीपुत्र शब्द निकला हो। कोई नंद ही का नामांतर महाबली कहते है और कहते है कि पूर्व में