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भारतेंदु-नाटकावली

उसका नाम मुरा था। एक दिन राजा दोनों रानियों के साथ एक ऋषि के यहाँ गया और ऋषिकृत मार्जन के समय सुनंदा नौ और मुरा पर एक छीट पानी की पड़ी। मुरा ने ऐसी भक्ति से उस जल को ग्रहण किया कि ऋषि ने प्रसन्न होकर वरदान दिया। सुनंदा को एक मांसपिंड और मुरा को मौर्य उत्पन्न हुआ। राक्षस ने मांसपिंड काटकर नौ टुकड़े किया, जिससे नौ लड़के हुए। मौर्य को सौ लड़के थे, जिसमें चंद्रगुप्त सबसे बड़ा बुद्धिमान था। सर्वार्थसिद्धि ने नंदों को राज्य दिया और आप तपस्या करने लगा। नंदों ने ईर्षा से मौर्य और उसके लड़कों को मार डाला, किंतु चंद्रगुप्त चाणक्य ब्राह्मण के पुत्र विष्णुगुप्त की सहायता से नंदो को नाश करके राजा हुआ।

योंही भिन्न-भिन्न कवियों और विद्वानों ने भिन्न-भिन्न कथाएँ लिखी हैं। किंतु सबके मूल का सिद्धांत पास-पास एक ही आता है।

इतिहास-तिमिरनाशक में इस विषय में जो कुछ लिखा है वह नीचे प्रकाश किया जाता है।

बिंबिसार को उसके लड़के अजातशत्रु ने मार डाला। मालूम होता है कि यह फ़साद ब्राह्मणों ने उठाया। अजातशत्रु बौद्ध मत का शत्रु था। शाक्यमुनि गौतम बुद्ध श्रावस्ती में रहने लगा। यहाँ भी प्रसेनजित को उसके बेटे ने गद्दी से उठा दिया; शाक्यमुनि गौतम बुद्ध कपिलवस्तु में गया।