पृष्ठ:भारतेंदु नाटकावली.djvu/५५७

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मुद्राराक्षस

में फूलों की माला लपेटकर घंटा और झाँझ बजाते हैं। एक वर्ण का आदमी दूसरे वर्ण की स्त्री ब्याह नहीं सकता है और पेशा भी दूसरे का इख्तियार नहीं कर सकता है। हिंदू घुटने तक जामा पहनते हैं और सिर और कंधो पर कपड़ा * रखते हैं। जूते उनके रंग बरंग के चमकदार और कारचोबी के होते हैं। बदन पर अकसर गहने, भौं मिहदी से रँगते हैं और दाढ़ी मूछ पर खिजाब करते हैं। छतरी, सिवाय बड़े आदमियों के, और कोई नहीं लगा सकता। रथों में लड़ाई के समय घोड़े और मंजिल काटने के लिए बैल जोते जाते हैं। हाथियों पर भारी जर्दोजी झूल डालते हैं। सड़कों की मरम्मत होती है, पुलिस का अच्छा इंतिजाम है। चंद्रगुप्त के लशकर में औसत चोरी तीस रुपये रोज से जियादा नहीं सुनी जाती है। राजा जमीन की पैदावार से चौथाई लेता है।

चंद्रगुप्त सन् ई० के ९१ बरस पहले मरा। उसके बेटे बिंदुसार के पास यूनानी एलची दयोमेकस ( Diamachos) आया था परंतु वायुपुराण में उसका नाम भद्रसार और भागवत में बारिसार और मत्स्यपुराण में शायद बृहद्रथ लिखा है। केवल विष्णुपुराण बौद्ध ग्रंथों के साथ बिंदुसार बतलाता है। उसके १६ रानी थीं और उनसे १०१ लड़के, उनमें अशोक जो पीछे


*अर्थात् पगडी दुपट्टा।

जैनियों के ग्रथों में इसी का नाम अशोक भी लिखा है।