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नीलदेवी

दरबार में वह तेगे शररबार न चमके।
घरबार से बाहर से भी हर बार खबरदार॥
इस दुश्मने ईमाँ को है धोखे से फँसाना।
लड़ना न मुकाबिल कभी जिनहार खबरदार॥

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