यह पृष्ठ प्रमाणित है।
५४०
भारतेंदु-नाटकावली
जाओ जाओ काहे आओ प्यारे कतराए हो।
काहे चलो छाँह से छाँह मिलाए हो॥
जिय को मरम तुम साफ कहत किन काहे फिरत मँड़राए हो।
एहो हरि देखि यह नयो मेरो जोबन हम जानी तुम जो लुभाए हो॥
अमीर––(मद्यपान करके अत्यंत रीझना नाट्य करता है) कसम खुदा की ऐसा गाना मैंने आज तक नहीं सुना था। दर-हकीकत हिंदोस्तान इल्म का खजाना है। वल्लाह, मैं बहुत ही खुश हुआ।
(मुसाहिबगण वल्लाह, बजा इरशाद, बेशक इत्यादि सिर और दाढ़ी हिला-हिलाकर कहते हैं)
अमीर––तुम शराब नहीं पीतीं?
गायिका––नहीं हुजूर।
अमीर––तो आज हमारी खातिर से पीओ।
गायिका––अब तो आपके यहाँ आई ही हूँ। ऐसी जल्दी क्या है। जो-जो हुजूर कहेंगे सब करूँगी।
अमीर––अच्छा कुछ परवाह नहीं। (मद्यपान) थोड़ा और आगे बढ़ आओ।
(गायिका आगे बढ़कर बैठती है)
अमीर––(खूब घूरकर स्वगत) हाय-हाय! इसको देखकर मेरा दिल बिलकुल हाथ से जाता रहा। जिस तरह हो,