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पृष्ठ:भारतेंदु नाटकावली.djvu/६४६

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दूसरा अंक

स्थान—बाजार

कबाबवाला––कबाब गरमागरम मसालेदार––चौरासी मसाला बहत्तर आँच का––कबाब गरमागरम मसालेदार––खाय सो होंठ चाटै, न खाय सो जीभ काटै। कबाब लो, कबाब का ढेर––बेचा टके सेर।

घासीराम––चने जोर गरम––

चने बनावै घासीराम। जिनकी झोली में दूकान॥
चना चुरमुर चुरमुर बोले। बाबू खाने को मुंह खोलै॥
चना खाधैं तौकी, मैना। बोलैं अच्छा बना चबैना॥
चना खायँ गफूरन, मुन्ना। बोलैं और नहीं कुछ सुन्ना॥
चना खाते सब बंगाली। जिनकी धोती ढीली-ढाली॥
चना खाते मियाँ जुलाहे। डाढ़ी हिलती गाह बगाहे॥
चना हाकिम सब जो खाते। सब पर दूना टिकस लगाते॥
चने जोर गरम-टके सेर।

नरंगीवाली––नरंगी ले नरंगी––सिलहट की नरंगी, बुटवल की नरंगी। रामबाग की नरंगी, आनंदबाग की नरंगी। भई नीबू से नरंगी। मैं तो पिय के रंग न रंगी। मैं तो भूली लेकर संगी। नरंगी ले नरंगी। कँवला नीबू, मीठा