देवी मानो हूबहू तुम्हीं हो। उफ! कलेजा काँपता है, हे जगदीश रक्षा करो।
सावित्री—नाथ! डरिये मत, अब कुछ चिंता नहीं यह सब सत्य था, स्वप्न न था पर अब कुछ डर नहीं।
सत्यवान—ऐं! क्या यह सब सच था? क्या मुझे महाकाल के पास से तुम्हीं छुड़ा लाई? धन्य देवी धन्य! (घबड़ाहट का नाट्य करता है) अह! बेतरह सिर घूमता है। समझ नहीं पड़ता, जागता हूँ या सोया।
(नारद मुनि बीन बजाते गाते आते हैं)
"बोलो कृष्ण कृष्ण राम राम परम मधुर नाम
गोविंद गोविंद केशव केशव, गोपाल गोपाल॥
माधव माधव, हरि हरि हरि बंशीधर बंशीधर श्याम।
नारायण वासुदेव नंदनंदन जगबंदन वृंदावन चारु चंद्र गरेगुंजदाम॥
'हरिचंद' जनरंजन सरन सुखद मधुर मूर्ति राधापति पूर्ण करन सतत भक्त काम ॥१॥"
(सत्यवान, सावित्री प्रणाम करते हैं)
नारद—मंगलमय भगवान श्रीकृष्णचंद्र सदा तुम लोगो का मंगल करै। (सावित्री से) सावित्री! आज तूने सतीकुल का मुख उज्वल किया, आज तुमने सतीत्व की ध्वजा फहराई, जो अनंत काल तक उड्डीयमान रहेगी। तुम्हारा यश