पृष्ठ:भारतेंदु नाटकावली.djvu/७२०

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प्रेम-योगिनी के

चौथा गर्भांक के मराठी अंश का हिंदी रूपांतर

महाश---क्या बुभुक्षित दीक्षित हैं?

बुभुक्षित---कौन है? वाह महाश, क्या तू है? क्यों बाबा आज कितने ब्राह्मणों को हमारे द्वारा निमंत्रण दोगे। मालिक ने कितने ब्राह्मण कहे हैं? क्यों रे ठोक्या के यहाँ कहाँ के यजमान का सहस्र भोजन चल रहा है?

महाश----दीक्षित जी, आज ब्राह्मणों में ऐसी मार-पीट हुई कि नहीं कह सकता। वह बड़ा पचड़ा है।

बुभु०---क्या सचमुच मार-पीट हुई? अच्छा, आओ चलो बैठक में। पर यह तो बतलायो कि आखिर हमारे ब्राह्मणों की क्या व्यवस्था होगी? तू ब्राह्मणो को लाया या नहीं? या यों ही हाथ झुलाता चला आया।

महाश----दीक्षित जी थोड़ा सा जल दीजिए, बड़ी प्यास लगी है।

बुभु०----अच्छा भाई थोड़ा ठहरो इतनी धूप में आए हो। बूटी ही बन रही है। थोड़ी बूटी ही पी लो। अच्छा यह बतलाओ कि कौन कौन से और कितने ब्राह्मण मिले?