पृष्ठ:भारतेंदु नाटकावली.djvu/७२१

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महाश---( हिन्दी )

चंबू भट्ट---.........२५ ब्राह्मण?

महाश---हाँ गुरु, २५ ब्राह्मण तो केवल सहस्र भोजन के है। और आज जो बसंत पूजा होगी, उसके लिए अलग, और जो सभा होगी, उनके लिए भी मैंने तार लगाया है, लेकिन।

गोपाल, माधव शास्त्री---क्यों महाश लेकिन क्या? सभा का काम किसके हाथ में है? और सभा कब होने वाली है?

महाश---पर यही है कि यह यजमान पाप नगर में रहता है। इसे एक कन्या है, वह विधवा है पर उसके शिर पर केश हैं। तीर्थ स्थान में आकर क्षौर करना आवश्यक है पर क्षौर करने से कन्या की शोभा चली जायगी इसलिए जो कोई ऐसी शास्त्रोक्त व्यवस्था दे तो उसका एक हजार रुपये की सभा करने का विचार है और यह काम धनतुंदिल शास्त्री के हाथ में पड़ गया है।

गप्प पं०---उँ ( हिन्दी )

माधव शास्त्री---( हिन्दी )

गोपाल०----ठीक ही है, और यदि किसी दुर्घट काम के कारण हम लोक-दृष्टि में निंध भी हों तब भी हम बंध हैं, क्योंकि श्रीमद्भागवत ही में लिखा है कि 'पाप किए हुए ब्राह्मण को भी कोई हानि न पहुँचावे इत्यादि'......।