पृष्ठ:भारतेंदु नाटकावली.djvu/८४

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निवासी थे। यह भी निश्चित सा ज्ञात होता है कि वे शैव थे जैसा कि नामों से तथा मंगलाचरण के दोनों श्लोकों में शिव की स्तुति होने से माना जाना चाहिए।

विशाखदत्त एक सामन्त सर्दार के पौत्र तथा महाराजा के पुत्र होने के कारण कुटिल राजनीति के पूर्ण ज्ञाता थे और स्वयं भी उसी प्रकार के समाज में रहने के कारण श्रृंगार, करुण आदि मृदु रसों का उनके हृदय में बहुत कम सञ्चार हुआ था। उन्होंने स्वभावतः राजनैतिक विषय पर ही लेखनी उठाई और उसमें वे पूर्णतया सफल हुए। उनकी कवित्व-शक्ति के बारे में केवल यही कहा जा सकता है कि वे कालिदास या भवभूति के समकक्ष नहीं थे। इस नीरस राजनीति-विषयक-नाटक से भिन्न इनके एक नाटक देवीचन्द्रगुप्त का कुछ अंश मिले हैं तथा इनके दो अनुष्टुभ् श्लोक बल्लभदेव की सुभाषितावली में संगृहीत हैं। इनकी अन्य कृतियाँ, यदि हों तो, अब अप्राप्य हैं। इनके नाटक से इतना अवश्य ज्ञात होता है कि ये ज्योतिष शास्त्र के भी ज्ञाता थे।

ख---नाटकीय घटना का सामयिक इतिहास

मगध देश या मागधों का प्रथम उल्लेख अथर्ववेद में मिलता है। पुराणों से पता लगता है कि महाभारत युद्ध के पहले मगध देश में वार्हद्रथो का राज्य स्थापित हो चुका था। वृहद्रथ के लिये ही पहले पहल मगध-नरेश की पदवी लिखी मिलती है जिसका पुत्र जरासन्ध और पौत्र सहदेव महाभारत युद्ध के समसामयिक थे। सहदेव के २३ पीढ़ी अनंतर अवन्ती-नरेश चण्डप्रद्योत का